इशरत जहां मुठभेड़ पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को लपेटने की भाजपा सरकार की कोशिशें अल्पकालिक भी हैं और दीर्घकालिक भी। इसका एक उद्देश्य तमिलनाडु विधानसभा के मौजूदा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को देशद्रोही और नरेंद्र मोदी के खिलाफ हद दर्जे की साजिश करने वाला बताना है तो दूसरी तरफ चिदंबरम के बहाने कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी को मुश्किल में डालने की भी तैयारी है। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू की प्रेस कॉन्फ्रेंस उसी सिलसिले की कड़ी है, जो निर्मला सीतारमन और किरण रिजुजू जैसे केंद्रीय मंत्रियों के आरोपों से होते हुए चली आ रही है। वेंकैया नायडू का लक्ष्य साफ तौर पर तमिलनाडु विधानसभा चुनाव है, लेकिन मोदी सरकार इशरत जहां के मामले को दुधारी तलवार के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। एक तरफ वह नरेंद्र मोदी के प्रति सहानुभूति पैदा करना चाहती है और दूसरी तरफ समाज के बहुसंख्यक तबके में कांग्रेस नेताओं के प्रति घृणा का भाव भरना चाहती है।
इसी के साथ इस विमर्श के माध्यम से मोदी सरकार आतंकवाद और मानवाधिकार पर एक नए किस्म की बहस को स्वीकृत करवाना चाहती है। जिसके तहत आतंकवादी के विरुद्ध अग्रिम कार्रवाई की जानी चाहिए और उसे फर्जी मुठभेड़ में समाप्त कर देना चाहिए। इसी योजना के तहत सरकार को समर्थन देने वाले चैनल तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम के 2009 के नोट में किए गए बदलाव को आरटीआई के माध्यम से निकलवाकर ब्रेकिंग न्यूज के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। चिदंबरम ने पहले इशरत जहां को लश्कर का आतंकी माना और फिर उस नोट में संशोधन किया यह एक तथ्य के रूप में सामने आ रहा है, लेकिन वैसा उन्होंने सोनिया गांधी के दबाव में मोदी को कठघरे में लाने की साजिश के तहत किया, यह एक जल्दबाजी और पूर्वग्रह में निकाला गया राजनीतिक निष्कर्ष है। इस पर वस्तुनिष्ठ तरीके से सोचने वाले तुरंत राजी नहीं होंगे, लेकिन भावनाओं में बहने वाले लोगों को आराम से बरगलाया जा सकता है। चिदंबरम इस आरोप की सफाई में यही कह रहे हैं कि सवाल यह नहीं कि उन्होंने क्या लिखा या क्या नहीं लिखा, क्योंकि गृह मंत्री के तौर पर लोकसेवक को यह अधिकार है कि वह तथ्यों के आलोक में अपना निर्णय बदल सकता है। सवाल यह है कि क्या किसी को महज आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में मारा जा सकता है? चिदंबरम का यह सवाल कानून और लोकतंत्र का अहम सवाल है लेकिन न्यायालय इसे कितना सुनेगा और उसके बाद जनता इस पर कितना यकीन करेगी?