केंद्र सरकार ने प्रशासनिक सुधार की दिशा में बड़ी पहल करते हुए आईएएस अफसरों के तबादले के लिए नए नियम बनाए हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार, तय टर्म से पहले किसी अधिकारी के तबादले का अधिकार सिर्फ प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का होगा. मतलब यह कि राज्य में मुख्यमंत्री और और केंद्र में प्रधानमंत्री ही ऐसा कर पाएंगे.
केंद्र ने जारी की गाइडलांइस
दूसरे ऐडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म के लिए पेश प्रस्ताव में इसका जिक्र था और इसे प्रभावी रूप से लागू करने की मांग नौकरशाही की ओर से उठती रही है. सिविल सर्विस डे से ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने इस बारे में गाइडलांइस जारी कर उन्हें संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि, ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया जा रहा है.
पीएम से मिलेंगे नौकरशाह
गुरुवार को पीएम मोदी की नौकरशाहों संग बैठक भी हो रही है. यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब अशोक खेमका या दुर्गा शक्ति नागपाल जैसे आईएएस अधिकारियों का समय से पहले राजनीतिक कारणों से तबादला किया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस अधिकारयों का टर्म तय करने के लिए नियम बनाने का निर्देश केंद्र को दिया था.
सभी राज्यों में सिविल सेवा बोर्ड
तय नियमों के मुताबिक, सभी राज्यों में सिविल सेवा बोर्ड होगा, जो ट्रांसफर को तय करेगा. यह बोर्ड तय टर्म से पहले ट्रांसफर के कारणों का रेकॉर्ड रखेगा. आईएएस अधिकारियों का टर्म 2 साल का होता है. अगर किसी आईएएस अधिकारी का तबदला इस मियाद से पहले होगा, तो इसके लिखित कारण बताने होंगे. सरकार का मानना है कि इससे तबादलों में राजनीतिक हस्तक्षेप रुक जाएगा.
केंद्र को देनी होगा रिपोर्ट
नए नियम के मुताबिक, सिविल सेवा बोर्ड हर साल 1 जनवरी को बैठकों की तारीखों के बाबत केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा और उसे संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश की वेबसाइट पर डालकर सार्वजनिक करेगा. इससे उन राज्यों में तबादले और उनके कारणों के बारे में बताना होगा.
क्या हैं पुराने नियम
पुराने नियमों के मुताबिक, सिविल सेवा बोर्ड को हर 3 महीने पर केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपकर ऐसे अधिकारियों के बारे में साफ-साफ बताना होता है, जिनका तबादला न्यूनतम टर्म पूरा होने से पहले किया गया. रिपोर्ट में अधिकारियों के तबादले की वजह का भी जिक्र करना होता है. सिविल सेवा बोर्ड की अध्यक्षता किसी राज्य के मुख्य सचिव करते हैं.