फरीदाबाद। इंजीनियरिंग कॉलेज विषय जानकारी देने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन यूनिवर्सिटी बनने के लिए रिसर्च का अहम योगदान होता है। यह शब्द अचेंद्रे नॉलेज मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रिसर्च डॉ. आर शिवरमन ने कहें। डॉ. आर शिवरमन मंगलवार को मानव रचना शैक्षणिक संस्थान (एमआरईआई) में मानव रचना अकैडमिक स्टाफ कॉलेज (एमआरएएससी) के द्वारा आयोजित किए गए सेमिनार में बतौर गेस्ट स्पीकर पहुंचे। इस मौके पर सीएल मीडिया की रिसर्च हैड भी पौलमी गांगुली मौजूद रहीं। सेमिनार में फैकल्टी को सेमिनार के विषय अंडर ग्रेजुएट्स के लिए रिसर्च के अनुभव के बारे में बताते हुए एमआरएएससी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व एमआरईआई के डायरेक्टर एडमिशन ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) एस.एन.सेतिया ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में नई सोच का बहुत जरूरत है। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान फाउंडर चेयरमैन की सोच के साथ हमेशा से नई सोच को प्रमोट करता आया है। इसी का उदहरण एमआरआईआईसी व मानव रचना एंटरप्रयनोर डिवेलपमेंट सैल के रूप में देखा जा सकता है। कार्यक्रम में सभी को संबोधित करते हुए यंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड प्राप्त कर चुके डॉ. आर शिवरमन ने कहा कि भारत का एजुकेशन सिस्टम नॉलेज बेस शिक्षा को तो प्रमोट करता है लेकिन अलग व नई सोच को प्रमोट करने में आज भी सिस्टम पीछे है। इनोवेशन बेस्ड मॉडल आज भी फोलो नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज करिकुलम के तहत शिक्षा तो देता है लेकिन रिसर्च को बढ़ावा दे और उसके मानदंडों पर खरा उतरकर ही कॉलेज यूनिवर्सिटी बनता है। मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी इन मानदंडों को पार कर ही यहां तक पहुंची है। उन्होंने प्रैसंटेशन के माध्यम से रिसर्च क्या है, इसकी अहमियत, किस तरह से कई यूनिवर्सिटियों ने इस प्रोत्साहित कर नए मील के पत्थर स्थापित किए है के बारे में बताया। उन्होंने फैकल्टी से आग्रह किया कि वह किताबों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि स्टूडेंट्स को नई सोच के साथ कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित करें।