फरीदाबाद। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डा0 हर्षवर्धन से मिला और उन्हें २४ अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित होने वाले लगभग ५ हजार औद्योगिक सस्थान बंद होने और २५ लाख श्रमिकों के सडक़ पर आने के अंदेशे से अवगत कराते राहत भरे कदमों की मांग की। मंत्री महोदय ने प्रतिनिधिमंडल की चिंता पर सहमति व्यक्त करते इस गंभीर विषय पर राहत दिलाने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में प्रधान श्री संजीव खेमका, पूर्व प्रधान कोहेनूर आफ फरीदाबाद श्री के सी लखानी, उपप्रधान सर्वश्री नरेंद्र अग्रवाल, शम्मी कपूर एवं गुडईयर इंडिया के प्रबंधक सर्वजीत सिंह हुंडल एवं कार्यकारी निदेशक कर्नल शैलेन्द्र कपूर शामिल थे। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एक नवम्बर से हरियाणा उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में पैट कोक और फर्नैस आयल के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इससे टैक्सटाईल, रबड़, शुगर मिल, स्टील, पेपर एवं पैकेजिंग उद्योगों पर बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने २ मई २०१७ को ह्यश-२ और हृह्र3-२ गैसों की निकासी के लिये केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को मानक एवं मापदंड तय करने के आदेश दिये थे जो केंद्रीय सरकार ने २४ अक्तूबर की सुनवाई में मात्र एक दिन पहले २३ अक्तूबर को नैट पर डालते हुये ६० दिन के अंदर-अंदर उद्योगों से इस संबंध में प्रतिक्रिया भेजने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने २४ अक्तूबर को केंद्रीय मंत्रालय को फटकार लगाते हुये २ लाख का जुर्माना तो लगाया साथ ही साथ बेकसूर औद्योगिक संस्थानों पर पूर्ण पाबंदी का आदेश भी सुना दिया।उत्तरी भारत के शीर्ष औद्योगिक संगठन फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने एन्वायरमैंट पैनल के चेयरमैन श्री नरेंद्र अग्रवाल हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण श्रीमति धीरा खंडेलवाल से भी मिले और उन्हें स्थिति से अवगत कराते उद्योगमंत्री श्री विपुल गोयल एवं मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से भी राहत दिलाने की मांग रखी। इस संबंध में सबसे रोचक तथ्य यह है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टानुसार एनसीआर क्षेत्र में ह्यश-२ अंडर कंट्रोल है और दूसरी एजेन्सी इपीसीए के अनुसार पीएम-१० एवं पीएम-२.५ में उद्योगों की जिम्मेदारी मात्र ११ प्रतिशत है जबकि धूल मिट्टी ३८ प्रतिशत एवं परिवहन १७ प्रतिशत है।