फरीदाबाद। उच्चतम न्यायलय द्वारा विवादित बॉलीवुड मूवी पदमावति पर रोक ना लगाए जान के फैसले से क्षत्रिय समाज एंव सर्व समाज में रोष उत्तपन्न हो गया है। शुक्रवार को एक प्रैस-विज्ञप्ति जारी कर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश प्रवक्त अधिवक्ता सुशील रावत ने इसे क्षत्रिय समाज के प्रति उच्चतम न्यायलय की बेरूखी बताई है। उनका कहना था कि बॉलीवुड फिल्म पदमावति में इतिहास से छेडछाड कर जिस तरह से क्षत्रिय समाज की भावना को आहत किया है वह अपने आप में एक निंनदीय कार्य था। यदि रानी पदमावति के चरित्र का साहस की विवेचना की जाए तो वह किसी भी लिहाज से फिल्म से मेल नही खाती है। परन्तु उसके बावजूद भी उच्चत न्यायलय ने फिल्म पर रोक ना लगा कर इस समाज के प्रति अपनी उदासीनता दिखाई है। जिस लेकर इस समाज के लोगों में रोष उत्पन्न हो गया है। इतना ही नही प्रवक्ता का यह भी कहना था कि वह कोर्ट के निर्णय का स मान करते है परन्तु जिस तरह से यह फैसला आया वह इस से सहमत नही है। इस निर्णय के बाद भी क्षत्रिय समाज इस फिल्म का पुरजोर विरोध कर अपनी बात समाज के समक्ष रखेगा। उनका दावा था कि इस फैसले से अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा अब अपनी रणनीति में परिर्वतन कर अपना विरोध आंदोलन जारी रखेगा। समाज की संस्कृति को किसी भी माध्यम से क्षति नही पहुचने दिया जायेगा । श्री रावत ने बताया कि क्षत्रिय समाज ने इस देश के लिए बहुत कुर्बानी दी है तथा किसी का भी यह अधिकार नही बनता की फिल्म के माध्यम से वह इतिहास में छेडछाड कर समाज को बदनाम करे।