विभिन्न समाजिक संगठन ने फंूका सीएमओं का पुतला,विधायक ललित नागर ने भी खूब जमकर लताडा
सिविल अस्पताल में तानाशाही से कर्मचारी पस्त
फरीदाबाद। सिविल अस्पताल फरीदाबाद के सीएमओं की कार्यशैली पर प्रश्रचिन्ह लगा हुआ हैं। उनकी कार्यशैली जनता के लिए सिरदर्द का सबब बन चुकी हैं। विरोध इतना बढ चुका हैं कि बकायदा समाजिक संगठन उनका पुतला जला कर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। इतना ही नही कांग्रेसी विधायक ललित नागर ने तो फोन पर ही उनकी कार्यप्रणाली से खफा होकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल एंव स्वास्थय मंत्री अनिल विज से इस बाबत शिकायत करने की बात तक कह डाली। माना यह जा रहा हैं कि सिविल अस्पताल में बतौर सीएमओं पद की नियुक्ति के बाद से ही डा. गुलशन अरोडा अपनी कार्यप्रद्वति से जहां शहर में चर्चा का विषय बने हुए है वही अस्पताल कर्मचारी भी उनके इस रवैया से बेहद खफा हैं। इस बात की पुष्ठि तब हो गई जब सिविल अस्पताल में कार्यरत्त एक चर्तुर्थ श्रेणी की अपाहिज महिला कर्मचारी ने उन पर बदतमीजी का आरोप लगा दिया। जिसका वीडियों सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया था। यही एक मामला नही है जब सीएमओं चर्चा में रहे है अगर बात की जाए एक अन्य मालमे की तो एनजीओं चलाने वाली एक महिला से भी इनका अभ्रद व्यवहार रहा है जो अपना निशुल्क एमआरआइ करवाने के सर्दभ उनके पास गई थी पर उनका व्यवहार समाजिक नही था जबकि एनजीओं चलाने वाली महिला को एक मंत्री द्वारा अपने लैटर-हैड पर निशुल्क एमआरआइ करवाने सिफारिश की गई थी। साथ ही जानकारी यह भी मिली हैं कि पूर्व में जहां डा. गुलशन अरोडा बतौर सीएमओं नियुक्त थे वहा भी अपने मनमाने रवैये के चलते कुछ माह तक निलंबित भी रहे थे तथा बाद में उनका स्थातंरण फरीदाबाद में कर दिया गया था। सूत्रों की माने तो शहर के एक मंत्री के साथ उनके बडे मधुर संबध है ,जिसकी बदौलत वह आज तक अपने अडियल रवैये की वजह से यहा सिविल अस्पताल में टिके हुए है और काफी शिकायत के बावजूद भी अभी तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाही नही हो रही हैं। बात यह भी कही जा रही हैं कि जब से उन्होने सिविल अस्पताल में बतौर सीएमओं पद पर नियुक्ति संभाली है, खामिया निरंतर बढती जा रही हैं। सफाई व्यवस्था हो या फिर स्टाफ की कमी या फिर अस्पताल में अवयस्था का माहौल सभी में बढोतरी निंरतर होती जा रही हैं। शहर में अब तो यह नारा लोगों की जुबान पर बुलंदियों पर हैं कि सीएमओं हटाओं और सिविल अस्पताल बचाओं बढता ही जा रहा हैं। अब यह देखना हैं कि क्या शहरवासियों की आवाज चंडीगढ तक पहुच पायेगी कि नही। जब इस बाबत सीएमओं डा. गुलशन अरोडा से सपंर्क साधा गया तो उन्होने अपना दूरभाष ही नही उठाया जबकि कोशिश यही थी कि पुतला जलाने से लेकर विधायक ललित नागर एंव एनजीओं महिला और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के सर्दभ में उनकी स्टेटमेंट जानने का प्रयास था।