फरीदाबाद। विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। जिसे उसने हासिल किया है स्कूल प्रशासन की दूरदर्शी सोच, मेहनत और लग्न से। सबसे बढक़र यह कि स्कूल प्रशासन शिक्षा प्रसार और अध्यापन को एक मात्र एक कार्य के रूप में नहीं लेता। स्कूल प्रशासन का मानना है कि शिक्षा एक व्यवसायिक वस्तु नहीं है, इसलिए शिक्षा का प्रचार और प्रयास हमारे लिए एक ध्येय, एक लक्ष्य, एक जिम्मेदारी और एक राष्ट्रनिर्माण का आंदोलन है और उन्हें खुशी है कि इसके माध्यम से उन्हें राष्ट्रनिर्माण की अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने का अवसर मिला है। स्कूल के डॉयरेक्टर दीपक यादव एक युवा, मेहनती, विचारशील और स्पष्ट व दूरगामी विजन रखने वाले व्यक्तित्व के धनी हैं। यादव से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने खुलकर अपने विचार प्रकट किया। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश :
अभिभावकों को बच्चे के भविष्य को लेकर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दीपक यादव : शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन के साथ ही देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल, यह किसी भी समाज की नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गयी है। शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार के द्वारा 5 साल से 15 साल तक की आयु वाले सभी बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षा सभी के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है और हमें जीवन की सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का समाना करना सिखाती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को सही और उचित शिक्षा प्राप्त हो सके। इसके लिए अभिभावकों को काफी सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए। जैसे कि कुछ अभिभावकों की सोच यह होती है कि छोटी कक्षाओं में बच्चों को किसी पास-पडोस के स्थानीय स्कूल में पढ़ाया जाए और बाद में किसी सीबीएसई एफलिएटिड या बड़े स्कूल में डाल देंगे, लेकिन उनकी यह सोच बच्चों के भविष्य को खराब कर सकती है, क्योंकि जिस स्थानीय पैटर्न पर बच्चा पहले पढ़ाई करता है उसके बाद अचानक से सीबीएसई के पैटर्न में पढ़ाई करने पर वह उसे कवर नहीं कर पाता। इससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए अभिभावकों को शुरू से ही बच्चों को सीबीएसई या एक अच्छे और सकारात्मक पैटर्न में प्रवेश दिलाना चाहिए। ताकि उनकी शिक्षा की नींव मजबूत बन सके। और यह बात सभी जानते हैं कि जिस इमारत की नींव मजबूत होती है वह इमारत अधिक मजबूत होती है।
अभिभावक अपने बच्चों के लिए सही स्कूल का चयन करते समय क्या सावधानियां बरतें?
श्री यादव : देखिए, आधुनिक युग में प्रचार माध्यम एक बहुत बड़ा कारक बन गया है जो लोगों की सोच को प्रभावित करता है, इसलिए यह और महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि बच्चों के लिए स्कूल का चयन काफी सावधानी से किया जाए। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चे का एडमीशन सीबीएसई शिक्षा प्रणाली से संबद्ध स्कूल में कराने से पहले स्कूल की सीबीएसई से मान्यता अवश्य जांच लें। कई बार कई स्कूल सीबीएसई एफलिएटिड यानी सीबीएसई से मान्यता प्राप्त न होकर सीबीएसई पैटर्न फोलो करने का दावा करते हैं जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए बच्चों का दाखिला सीबीएसई एफलिएटिड स्कूल में ही कराएं न कि सीबीएसई पैटर्न फोलोअर संस्थान में।
अभिभावकों को कैसे पता चलेगा कि स्कूल सीबीएसई से एफीलिएटिड है या नहीं?
दीपक यादव : आज का युग आधुनिक और तकनीक प्रधान युग है। सूचना और प्रौद्योगिकी के इस युग में सभी चीजें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। आप सीबीएसई की वेबसाइट पर जाकर संबंधित स्कूल के सीबीएसई एफलिएशन नंबर को डालकर स्कूल की मान्यता की जांच कर सकते हैं।
अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला सीबीएसई एफलिएटिड स्कूल में ही क्यों कराएं?
दीपक यादव : देखिए, एक देश का व्यापक विकास देश में नागरिकों के लिए उपलब्ध प्रचलित शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। सीबीएसई एफलिएटिड स्कूलों के लिए बोर्ड की तरफ से शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कई नार्मस बनाए गए हैं। जो स्कूल इन नार्मस को पूरा करते हैं उन्हीं स्कूल को सीबीएसई की मान्यता प्राप्त होती है। इन नार्मस के मुताबिक स्कूल में अध्यापन करने वाले अध्यापकों की क्वालिफिकेशन, अनुभव आदि की सीमाएं तय की गई हैं। स्कूल के इन्र्फा जैसे विषयों से संबंधित लैब, लाइब्रेरी, खेल का ग्राउण्ड आदि सुविधाओं के मापदण्ड निश्चित किए हैं, जिन्हें काफी सोच समझकर निर्धारित किया गया है। जब बच्चों को मापदण्डों पर निर्धारित वातावरण मिलता है तो बच्चों को भविष्य बेहतर होता है। इसलिए बच्चों के भविष्य का मुद्दा काफी संवेदनशील है जिसे बिना किसी लापरवाही के लिया जाना जरूरी है।
आपने अपने स्कूल में स्कॉलरशिप और छात्राओं के लिए फ्री एडमीशन व्यवस्था की है?
दीपक यादव : जी हां, कुछ लोग ज्ञान और कौशल की कमी के कारण पूरी तरह से अशिक्षित रहकर बहुत दर्दनाक जीवन जीते हैं। कुछ लोग शिक्षित होते हैं लेकिन पिछड़े इलाकों में उचित शिक्षा प्रणाली के अभाव के कारण पर्याप्त कुशल नहीं होते। इसलिए हमारा मानना है, और मानना ही नहीं हमारा लक्ष्य है कि हम सभी के लिए अच्छी शिक्षा एक अच्छी शिक्षा प्रणाली के साथ समान रूप से उपलब्ध करा सकें, चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग से हो। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और उसे हर किसी तक पहुंचाने में उन्हें बहुत खुशी होती है। इसलिए स्कूल द्वारा यह व्यवस्था की गई है।
शिक्षा के क्षेत्र में क्या सुधार की अपेक्षा करते हैं?
दीपक यादव : देश में हर क्षेत्र में नागरिकों के लिए अच्छी और उचित शिक्षा प्रणाली को उपलब्ध कराए जाने के सामान्य लक्ष्य को निर्धारित किया जाना चाहिए और शिक्षा प्राप्ति के रास्ते को सुगम व सुलभ्य बनाए जाने की कोशिश की जानी चाहिए। हम में से सभी को उच्च स्तर पर शिक्षित होने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयासों को करने के साथ ही सभी की शिक्षा तक पहुँच को संभव बनाना चाहिए जिसमें समाज के सभी वर्ग भाग ले सकें।
पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी शिक्षा के उचित लाभ प्राप्त नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनके पास धन और अन्य साधनों की कमी है। यद्यपि, इन क्षेत्रों में इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा कुछ नई और प्रभावी रणनीतियों की योजना बनाकर लागू किया गया है। शिक्षा ने मानसिक स्थिति को सुधारा है और लोगों के सोचने के तरीके को बदला है। यह आगे बढऩे और सफलता और अनुभव प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास लाती है और सोच को कार्य रुप में बदलती है। इस तरह देश अपने चहुँमुखी विकास की ओर अग्रसर होगा। धन्यवाद।