फरीदाबाद। कांग्रेसी नेत्री सोनिया गांधी के दामादा रॉबर्ट वाड्रा के सभी एजेंटों पर जिस तरह से प्रवर्तन निदेशालय ने शिकजा कसना शुरू कर दिया है वह उनकी मुसीबत को बढा सकता हैं। हांलाकि अभी तक ईडी सीधे तौर पर रॉबर्ड वाड्रा के मामले में अपना पक्ष रखने में गुरेज बरत रही है। परन्तु बीकानेर जमीन घोटाले में ईडी की टीम ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटिलिटी प्रा. लिमिटेड के लिए की गई जमीन की खरीद फरोख्त करने वाले एजेंटो पर पैनी नजर अटानी शुरू कर दी हैं। इसी क्षृखंला में ईडी ने सर्च वारंट लेकर फरीदाबाद के विधायक ललित नागर के भाई महेश नागर से पूछताछ करने बाबत उनकी सेक्टर-17 स्थित मकान पर धावा बोल दिया था । हांलाकि काफी समय मशक्त करने के बाद काफी कुछ हासिल नही हो पाया। माना जा रहा है कि इस आंशका के चलते विधायक ललित नागर और भाई महेश नागर ने सभी दस्तावेज कही सुरक्षित स्थान पर छुपा दिए हैं। वाड्रा की जमीन की खरीद फरोख्त में महेश नागर की अहम भूमिका मानी जाती रही है। इतना ही नही यही नजदीकी विधायक ललित नागर को विधायक का टिकट दिलवाने का आधार भी मानी जा रही थी। माना यह भी जा रहा हैं कि विधायक के भाई महेश नागर ने अपने निजी वाहन चालक अशोक के नाम पर भी बीकानेर में जमीन खरीदी और बाद में उसे वाड्रा की कंपनी को बेच दी। खैर जो भी है प्रवर्तन निदेशालय ने वाड्रा की कंपनी को बीकानेर जिलें में लगभग 1372 बीघा जमीन खरीदने आरोप में निशाने पर लिया हुआ है। यह जमीन राजस्व विभाग द्वारा विगत् 1989 में महाजन फील्ड फायंरिग रेंज के विस्थापन के समय लगभग 34 गांवों की 1422 बीघा जमीन अधिग्रहण की गई थी। परन्तु बाद में फर्जीवाडा कर विस्थापति के नाम पर जमीन का अंाबटन किया गया । इतना ही नही फर्जी तरीके से सभी रिश्तेदारों और परिचित लोगो के नाम पर इस विस्थापित जमीन को आबंटित कर दिया गया जबकि उनका इस जमीन से कोई सरोकार नही था। बताया यह भी जा रहा है कि आरोपियों ने उस दौर में सबंधित अधिकारियों से मिलीभगत कर जमीन का नातांरण उन लोगों के नाम करा ली जो उसके वास्तिवक हकदार नही थे। बाद में तकरीबन काफी बार बिकने के बाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी को 1372 बीघा जमीन बेच दी गई। जिसमें विधायक के भाई महेश नागर की अहम भूमिका मानी जा रही हैं। जानकारी यह भी मिली है कि ईडी वाड्रा की कंपनी को फर्जी तरीके से बेची गई जमीन के चार मालिकों की करोडों की चल एंव अचंल संपति की कुर्की कर चुका हैं।