जाट आरक्षण आंदोलन मामले को गंभीरता से न लेना हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को महंगा पड़ रहा है. राज्य सरकार ने ऐसे पुलिस अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है. ताजा मामले में राज्य सरकार ने डीजीपी वाइपी सिंघल और सीआईडी चीफ एडीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को मामले की जांच से हटा दिया गया है.
राज्य सरकार ने अब डीआर केपी सिंघ को नया डीजीपी नियुक्त किया है. केपी सिंघ 1985 बैच के ऑफिसर हैं. इससे पहले मुरथल गैंगरेप की जांच के लिए बनी SIT चीफ डीआर राजश्री सिंघ को हटा दिया गया था. साथ ही राज्य सरकार ने रोहतक IGP श्रीकांत जाधव को ढिलाई बरतने के लिए सस्पेंड कर दिया था.
जिम्मेदारियां न निभाने की वजह से गिरी गाज
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई की वजह उनका ढीला रवैया बताया जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान इन्होंने अपनी जिम्मेदारियां पूरी तरह नहीं निभाई. सेमा, पैरामिलिट्री और पुलिस फोर्स की तैनाती के बावजूद जाट प्रदर्शनकारियों को निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को आग लगाने के लिए छोड़ दिया गया. प्रदर्शन के दौरान लूटपाट और गैंगरेप जैसी वारदात भी हुई.
सरकार की नजर में पुलिस अधिकारियों के लापरवाही भरे अंदाज की वजह से ही हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई. बता दें कि मुरथल गैंगरेप मामले में पुलिस ने बिना FIR दर्ज किए ही SIT रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी थी. पुलिस को दो अज्ञात शिकायतकर्ता मिलने के बावजूद मामले में 30 मार्च तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन अधिकारियों की छुट्टी करना शुरू कर दिया जो अपनी जिम्मेदारी निभाने से चूक रहे हैं.