आइ.ए.एस फिसड्डी बना घपला कर अध्यक्ष
हरियाणा। वैश्य राजनीति से जुडे हुए एक हाथ वाले नेता का भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा से फिसड्डी बेटा घपला कर आखिरकार एक जिले का अध्यक्ष बन गया। अगर देखा जाए तो अपने बलबूते पर एक भी वोट ना लेने वाला यह फिसड्डी पुत्र अपने पिता की धाधलेबाजी की बदौलत अन्य काबिल उम्मीदवारो की राजीतिक मंशा पर विराम चिन्ह लगाने प्रयास में जुटा हुआ हैं। कभी राजनीति में ना आने की बात कहने वाला फिसड्डी पुत्र अपने दावे पर खरा नही उतर पाया और भारतीय सिविल सेवा में विफल होने के पश्चात अपने पिता की तरह जमीनों की दलाली में उतर गया। बताया तो यह भी जा रहा हैं कि भारतीय सिविल सेवा परीक्षा का मुख्य उदेश्य मात्र किसी रसूक परिवार से विवाह बंधन का किया जाना था जबकि यह फिसड्डी परीक्षा के कभी काबिल ही नही था। हास्यपद यह है कि किसी स्थानीय समाचार पत्र में कहा गया था कि अध्यक्ष बन फिसड्डी ने इहितास रच दिया जिसका मुख्य कारण इसका मधुरभाषी एंव शांत स्वभाव बताया जा रहा है पर वास्तिवकता यह है कि बहुत घटिया विचार एंव लोगो के साथ दुव्र्यवहार लिए यह अच्छे खासे अपने क्षेत्र में बदनाम हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि इसके विपरित चरित्र की वजह से यह अपने पिता की राजनीतिक मंशा पर पानी फेर रहा हैं। जबकि प्रायोजित खबर में फिसड्डी का दावा है कि पूर्व में पिता को हाथ से टिकट मिलने के बाद से ही इन्होने हवा का रूख में परिर्वतन कर दिया था। इसके दावे की पोल खुलने का नतीजा यह है कि इसके पिता अपनी जमानत भी नही बचा पाए तो इसकी बदौलत जीत तो एक जंग जीतने के समकक्ष हैं। सार्वजनिक मंच पर अक्सर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने की दावे की बात करने वाले इस फिसड्डी ने इस बात को भुना कर जमीन की दलाली में अपने पिता संग काफी अच्छा रूपये कमाए। जबकि देश की राजधानी में एक मामलें में जब लाठी चार्ज हुआ जो यह पिता-पुत्र की जोडी पूर्व मुख्यमंत्री को वहा छोडकर रफूचक्कर हो गई। देखा जाए तो वैश्य समाज की राजनीति करने वाले फिसड्डी के पिता भी किसी गुरूघटांल से कमतर नही आके जा सकते हैं। अक्सर सभी स्थलों पर इनके द्वारा एक केबिनट मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल अपनी राजनिति चमाकाते हुए आसानी से देखा जा सकता हैं क्योकि अब इनके पास कोई चुनाव का मुद्दा शेष नही बचा हैं। इतना ही नही यह केबिनट मंत्री पर बदसलूकी एंव जानबूझ कर उनके निमार्ण को ढहाए जाने का वह आरोप उन पर मढ रहे है जबकि वास्तिवक्ता यह है कि जितने भी निमार्ण हटाए गए है वह सभी अवैध थे। इतना ही नही एक प्रेस-वार्ता इन्होने दावा किया था कि यह जल्दी अपने द्वारा आयोजित प्रैस वार्ता में केबिनट मंत्री की कलई खोल कर रख देगे पर स्थिती अभी तक जस की तस बनी हुई हैं। अगर विग्त की बात की जाए तो इनके कारनामें भी किसी से छिपे हुए नही हैं। अपनी सरकार में इन्होने लोगो के निमार्ण पर बुलडोजर चलवाए थे या फिर जानबूझ कर उन्हे परेशान करने के लिए संबधित विभाग के अधिकारियों को वहा भेजा जाता रहा था और बाद में सहायता के नाम पर वह सेवा शुल्क उनसे से इकठठा कर लेते थे। दलाली के लिए मशहूर इस वैश्य नेता ने अपने करीबियों से जो कि एक रियल एस्टेट गु्रप को चलाए करते थे उनके भी एक बार 2 करोड़ सेवा शुल्क के नाम पर ले लिए थे वो तो इनके करीबियों को पता चलने के बाद दवाब के चलते वह शुल्क उन्हे लौटा दिया। बाप नबंरी तो बेटा दस नंबरी वाली संज्ञा अगर फिसड्डी पर चरितार्थ सिद्ध करना चाहे तो बिल्कुल सटीक बैठती है ,क्योकि वैश्य राजनीति करने वाले नेता से उनका पुत्र दो कदम आग बढ चुका है,हांलाकि समाजिक एंव राजनीतिक तौर पर उसका अभी तक अपना कोई वजूद नही है पर अपने आप को प्रदेश का सबसे बडा खलीफा समझना इसकी घटिया मानसिकता दर्शाता हैं।