फरीदाबाद। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जे पी मल्होत्रा ने केंद्र सरकार से प्रोविडेंट फंड की सहभागिता पर टैक्स तथा ब्याज के संबंध में किये गये संशोधन पर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है। श्री मल्होत्रा के अनुसार वित्त बजट में यह प्रावधान किये गये कि ब्याज पर टैक्स संबंधी छूट एम्पलाई के लिये २.५ लाख है और हाल ही के संशोधन में छूट की सीमा ५ लाख रूपये कही गई है। श्री मल्होत्रा के अनुसार छूट केवल जनरल प्रोविडेंट फंड के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित दिखाई देती है जबकि इसमें निजी क्षेत्र को पृथक किया गया है। एसोसिएशन के महासचिव श्री विजय आर राघवन के अनुसार आवश्यकता इस बात की है कि एम्पलाई और एम्पलायर की भागीदारिता के संबंध में स्पष्ट स्थिति होनी चाहिए ताकि पीएफ को लेकर किसी प्रकार का कोई संदेह न हो। कहा गया है कि भविष्यनिधि में जमा होने वाला धन वास्तव में कामगार व प्रबंधन की ही सहभागिता है और इस पर पूरा अधिकार श्रमिक का होना चाहिए। प्राविडेंट फंड के नये प्रावधानों में कास्ट टू द कम्पनी (सीटीसी) के संबंध में कहा गया है कि मूल वेतन, अलाउंसिस, विशेष दिन, फूड कूपन और प्रोविडेंट फंड में भागीदारी को सीटीसी में कैसे विभाजित किया जा सकता है। कहा गया है कि यदि सरकार छूट संबंधी किसी योजना को कार्यअमल में लाना चाहती है तो इसे सैगमैंट के आधार पर नहीं अपितु पूरे प्रोविडेंट फंड पर लागू किया जाना चाहिए! श्री मल्होत्रा के अनुसार नये श्रम कानून के तहत भविष्यनिधि को 50 प्रतिशत वेतन पर आधारित करने की बात कही गई है परंतु सीटीसी के साथ इसका तालमेल कैसे हो सकता है इस तथ्य पर स्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिए। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का कहना है कि वित्तीय सुधार श्रम व अन्य सुधारों की आवश्यकता है परंतु इन्हें विभिन्न राईडर्स तथा शर्तांें के साथ अमल में नहीं लाया जाना चाहिए और स्थिति को स्पष्ट किया जाना आवश्यक है। श्री मल्होत्रा ने बताया कि इस संबंध में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर शीघ्र कार्यवाही का आग्रह किया जाएगा।