फरीदाबाद। वार्ड-30 का निगम चुनाव केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की प्रतिष्ठा से जुड कर देखा जा रहा हैं, क्योकि इस बार केन्द्रीय मंत्री ने भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रवेश मेहता के परिवार का टिकट काटकर अपने मित्र हंस आहुजा के भाई सुभाष आहुजा को दे दिया हैं। जबकि इसी वार्ड से चाचा कांग्रेसी नेता लखन सिंगला और उनके भतीजे रोहित सिंगला भी जीत दावा कर रहे हैं। हांलाकि चाचा-भतीजे की वर्चस्व की जंग पूर्व में शहर में चर्चा में रही थी पर अब इसे मजबूरी कहे या फिर जरूरत यह जोडी एक बार फिर संगठित हो चुकी है। अब यह तो वक्त ही तय करेगा कि चाचा-भतीजे की जोडी निगम चुनाव में जीत का परचम लहरा पायेगी कि नही पर यह तो तयशुदा है कि इस वार्ड से केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई हैं। अब जब बात की जाए केन्द्रीय मंत्री की तो इसमें कोई दो राय नही है कि कांग्रेसी नेता लखन सिंगला और रोहित सिंगला से उनका राजनीतिक कद ही कद्दावर ही नही हैं बल्कि जोडी के मुकाबले वह उनसे भारी ही प्रतीत दिखाई दे रहे हैं। वजह स्पष्ट हैं कि वह इस वक्त सत्तारूढ पार्टी का अहम हिस्सा है और इस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जलवा लोगों के सिर चढ कर बोल रहा हैं। इस तरह बीजेपी के चुनाव चिन्ह से निगम चुनाव लड रहे सुभाष आहुजा को शायद वो जद्दोजहद ना करनी पडे जो अक्सर इन चुनाव में उम्मीदवारो को करनी पडती हैं। वही केन्द्रीय मंत्री भी अपना स्र्वस्व इस वार्ड को देना चाहेगे क्योकि अब यह चुनाव उनकी सम्मान से जुड चुका है और वह कोशिश करेगे कि इस वार्ड में किसी भी तरह से पंजाबी और वैश्य समाज के अलावा अन्य वर्ग को अपने साथ मिला ले ताकि उनके उम्मीदवार की जीत सुलभ हो जाए। इस दौर में कमल ही अन्य निशान पर भारी प्रतीत दिखाई दे रहा है और इसे दूसरे तरीके से देखा जाए तो पूर्व पार्षद रोहित सिंगला की कार्यशैली और उनकी पारिवारिक जंग भी इस चुनाव को प्रभावित अवश्य करेगी। खैर मसला जो भी है पर यह तो तयशुदा है कि कही केन्द्रीय मंत्री की प्रतिष्ठा साख चाचा भतीजे की जोडी के समक्ष खडी हो गई हैं।