फरीदाबाद।(मनोज भारद्वाज) 75 वर्षीय श्रीमती हसीबा खालफ लम्बे अर्से से छाती मेें दर्द तथा सांस लेने में दिक्कत की शिकायत से पीडि़त थी। यह महिला उच्च रक्तदान तथा डायबीटिज की भी रोगी थी। इसको कंट्रोल करने की लिए वह कई दवाईयां ले रही थी किंतु यह हमेशा ज्यादा ही रहता था। अपने देश इराक में उसने एंजियोग्राफी करवाई जिसमें पता चला कि उनके हृदय की तीनों नसों में खतरनाक ब्लॉक थे। वहां उन्हेें बाईपास सर्जरी कराने की सलाह दी गई। मगर हृदय की धमनियों के साथ-साथ ही मरीज के बाई ओर की दिमाग की धमनी 90 प्रतिशत तथा गुर्दे की दोनों तरफ की धमनियों में 90-95 प्रतिशत ब्लॉक होने की वजह से बाईपास सर्जरी के दोरान लकवे तथा किडनी फेलियर का रिस्क बहुत ज्यादा था इसलिए उनकी बाईपास सर्जरी होना काफी रिस्की था। साथ ही साथ उनके दाई ओर की हृदय की धमनी में जो ब्लॉक थे, वो काफी समय पुराने, सख्त तथा कैल्शियम युक्त बहुत लम्बे ब्लॉक थे, जिसकी वजह से इसकी एंजियोप्लास्टी भी संभव नहीं लग रही थी। इस प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थी, जिसमें मरीज की तकलीफ बहुत ज्यादा थी लेकिन उपचार संभव नहीं हो पा रहा था। ऐसे में उनके परिजन बहुत उम्मीद के साथ मरीज को भारत के मेट्रो अस्पताल फरीदाबाद लेकर आये और उनके समस्या के निदान के लिए डा. एस.एस. बंसल वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सक से मिले, जिस पर कार्डियोलोजी टीम जिसमें डा. बंसल, डा. नीरज जैन तथा डा. सौरभ जुनेजा वरिष्ठ हृदय शल्य चिकित्सक तथा अन्य सदस्यों के प्रयासों से मरीज की तीनों धमनियों में 4 स्टैंन्ट, 2 किडनी की धमनियों में एक बाई तरफ की दिमाग की धमनी कुछ मिलाकर 7 स्टैन्ट द्वारा उनके सभी ब्लॉक को सफलतापूर्वक खोल दिया गया। सर्जरी के परिणाम बहुत अच्छे रहे वह एकदम ठीक हो गई और उनका ब्लडप्रेशर भी नार्मल हो गया। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, जो कि अत्यधिक कुशल हाथों द्वारा ही संभव हो सकता था। यह काफी चुनौतीपूर्ण प्रोसिजर था, जिसके प्रथम चरण में हृदय की तीनों धमनियों की एंजियोप्लास्टी की गई तथा 2 दिन पश्चात किडनी तथा दिमाग की धमनियों को खोला गया। डा. बंसल ने बताया कि कई मरीज ऐसे होते है जो बाईपास के लिए उपयुक्त नहीं होते है तथा उन्हें बाईपास के दौरान खतरा होता है और यही मरीज अगर एंजियोप्लास्टी के लिए फिट न हो तो इनके लिए हृदयघात तथा आकस्मिक मृत्यु का खतरा बना रहता है तथा इनकी जीवन शैली भी प्रभावित होती है। ऐसे में इन्हें एक इस तरह का विकल्प देना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं मरीज को एक जोखिम रहित जीवन दे पाया और यह सिर्फ हमारी जापानीज क्रूसेड तकनीक तथा बेहतरीन सुविधाओं की वजह से। इस मरीज की दाई ओर की धमनी को खोलने के लिए जापानीज कू्रसेड तकनीक का प्रयोग किया गया जो कि आधुनिकतम प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि अब मरीज बिल्कुल ठीक है और अगले दो दिन बादउ वह अपने देश इराक लौट जाएगी। सन्तुष्टि प्रकट करते हुए उन्होने बताया कि इस तरह की परिस्थिति में हृदय के अतिरिक्त अन्य अंगो के भी शामिल होने पर भी मरीज के एजिन्योप्लाटी के लिए अनुयुक्त नहीं माना चाहिए बल्कि उन्हें वैकल्पिक इलाज का ऑपशन देना चाहिए जो कि कभी कभी अत्याधिक सफलता देता है।

FARIDABAD METRO HOSPITAL KE DOCTORS IRAQI MAHILA SMT.HASIBA KHALAF KE SATH JISKEY NEW TACHNIC SE BUREY BODY MAIN 7 STUNT DALEY GYE . HOSPITAL KE DR. KA DAWA HAI KI DEKH MAIN PEHLI BAR KISI KO 7 STUNT DALEY HYE HAI ISSEY PEHLEY MUMBAI MAIN KISI PATIIENT KO 5 STUNT DALEY GYE THEY