Manoj Bhardwaj
फरीदाबाद। प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा ई-पंचायत प्रणाली लागू करने के विरोध में पिछले 4 दिनों से संयुक्त संघर्ष समिति पंचायत परिवार, फरीदाबाद के बैनर तले सेक्टर-16 स्थित बीडीपीओ कार्यालय व बल्लभगढ़ में धरने पर बैठे सरपंचों को आज तिगांव विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक ललित नागर ने कांग्रेस पार्टी व अपनी ओर से समर्थन देते हुए ई-पंचायत प्रणाली को तुरंत खत्म किए जाने की मांग की। धरने पर बैठे सरपंचों को संबोधित करते हुए विधायक ललित नागर ने कहा कि जब खट्टर सरकार को ई-पंचायत प्रणाली ही लागू करनी थी तो फिर सरपंचों को क्यों चुना गया, जब सारा कार्य ई-पंचायत प्रणाली द्वारा किया जाएगा तो फिर सरपंच क्या करेंगे और बिना सरपंचों के गांवों का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नए आदेशों में कहा है कि गांवों में 10 लाख से ऊपर के कार्य एक्सईएन की देखरेख में होगा, जबकि सरपंचों को भली-भांति पता होता है कि गांव में कौन-कौन का कार्य अनिवार्य है। अगर सरकार ई-पंचायत प्रणाली लागू करना चाहती है तो कम से कम इसकी जानकारी तो सरपंचों को होनी चाहिए, उन्हें ट्रेनिंग देकर निपुण बनाया जाना चाहिए, तब यह प्रणाली लागू होनी चाहिए परंतु सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरपंच गांव का सम्मानित सदस्य होता है और यह तानाशाही प्रणाली थोपकर सरकार सरपंचों का नहीं बल्कि गांवों के लोगों का अपमान कर रही है। कितने शर्म की बात है कि माननीय मुख्यमंत्री पिछले दिनों सरपंचों को मिलने के लिए चंडीगढ़ बुलाते है और उनसे मिलते नहीं बल्कि अपने निवास पर फोर्स लगाकर उनसे बिना मिले ही उन्हें लौटा दिया जाता है। इसके लिए मुख्यमंत्री को अपने इस कृत्य के लिए सरपंचों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों और अनुभवहीनता के चलते सरपंच, मजदूर, व्यापारी, गेस्ट टीचर, कर्मचारी, आशा वर्कर के साथ-साथ हर वर्ग आज सडक़ों पर संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री अगर प्रदेश के लोगों की आंकाक्षाओं पर खरा नहीं उतर सकते तो उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर देना चाहिए। इस दौरान धरने पर बैठे सरपंचों ने विधायक के समक्ष सरकार से अपनी मांगें रखते हुए कहा कि सरपंच का मासिक मानदेय 3 हजार रुपए रखा गया है, उसे बढ़ाकर कम से कम 25 हजार रुपए करना चाहिए वहीं ग्राम सचिव का वाहन भत्ता मासिक 20 रुपए मासिक है, जिसे बढ़ाकर 5 हजार करना चाहिए। इसके अलावा हरियाणा में हाल ही में निलंबित किए 9 ग्राम सचिवों को बहाल किया जाए व पूर्व सांसद व पूर्व विधायकों की तर्ज पर पूर्व सरपंचों को भी पैंशन सेवा व इंश्योरेंस सेवा का लाभ दिया जाए और हरियाणा पंचायती अधिनियम 1994 को पूर्ण रुप से लागू किया जाए। सरपंचों की सभी मांगों को जायज करार देते हुए विधायक ललित नागर ने भाजपा सरकार को चेताते हुए कहा कि जल्द ही सरपंचों की मांगों व ई-पंचायत प्रणाली को खत्म नहीं किया गया तो कांग्रेस कार्यकर्ता सरपंचों के साथ सडक़ों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने से भी गुरेज नहीं करेंगे। इस अवसर पर संजीव कुमार सरपंच ताजूपुर, रामसिंह नेताजी सरपंच महमूदपुर, रिंकू जौडला सरपंच तिगांव अधाना पट्टी, उम्मेद सिंह सरपंच भुआपुर, कृष्ण कुमार सरपंच तिगांव नागर पट्टी, शिव कुमार सरपंच सदपुरा, भूदत्त सरपंच भैंसरावली, नंदकिशोर सरपंच तिलपत, पप्पू विरेंद्र सरपंच मोहब्बताबाद, जियाराम सरपंच पावटा, कर्मबीर सरपंच मांगर, जैद सरपंच फतेहपुर तगां, आरिफ सरपंच धौज, अजब सिंह सरपंच शाहबाद, रमेश चंद सरपंच सिडौला, वेद भाटी सरपंच अमीपुर, प्रहलाद सरपंच, कालू सरपंच, प्रेम बोहरा सरपंच, सुरेंद्र बोहरा सरपंच, निसार सरपंच, कृष्ण सरपंच, जगीर सिंह सरपंच, योगेश सरपंच, महेंद्र सरपंच, मुकेश सरपंच, विक्रम सरपंच, ताराचंद सरपंच, भूपसिंह सरपंच, भोली सरपंच, विनोद भाटी सरपंच, जयविंद्र सरपंच, निशांत हुड्डा सरपंच, अजयवीर सरपंच भतौला, संजय भाटी सरपंच भूपानी, मनोज कुमार फत्तूपुरा, सुनील चेयरमैन, सूरजपाल भूरा, कमल चंदीला अनेकों पंच-सरपंच मौजूद थे।