फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी की दौड में बेशक फरीदाबाद अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है। परन्तु क्या वास्तिवक स्थिती इस परिवेश से तारूफ रखती है। यदि शहर के विकास की बात की जाए तो इसमें कोई दो राय नही है कि स्थिती में काफी समय से कोई खास परिर्वतन नही आया है। हांलाकि पूर्व में जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूवल मिशन के अंतर्गत फरीदाबाद को मिले कई सौ करोड़ रुपए इस बात का गवाह है कि अभी तक शहर विकास की दौड में काफी अव्वल हो जाना चाहिए था परन्तु करोडों रूपयों से होने वाले विकास कार्यो का खाका सिर्फ फाईल तक ही सिमिट कर रह गया। निगम प्रशासन कभी भी असली सच्चाई को जनता के समक्ष उजागर ही नही कर पाया। अब जब स्मार्ट सिटी का नारा देकर फरीदाबाद के भाजपा नेता और निगम प्रशासन अपनी पीठ थपथपा रहे है, परन्तु संशय की स्थिती यह बनी हुई है कि स्थानीय क्षेत्र का कौन सा हिस्सा स्मार्ट सिटी के पैमाइश पर खरा साबित होगा जिसे स्मार्ट बनाया जाए या फिर यह भी हो सकता है कि यह पैमाना मात्र राजनीतिज्ञ की सोच तक ही सीमित रह जाएगा। केन्द्र सरकार द्वारा सम्पूर्ण देश मे चलाए जा रहे स्वच्छ एंव सुंदर शहर बनाने की योजना में बेशक फरदाबाद ने बाजी मार ली है परन्तु शहर में जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है वही मिलीभगत से धल्लडे से हो रहे अवैध निमार्ण की वजह से जनता का जीना दुश्वार हो चुका है। काफी मशक्कत के बाद फरीदाबाद का स्मार्ट सिटी की दौड़ में जीत हासिल किए जाने को लेकर सत्तारूढ़ दल के नेता इस अपनी एक बहुत बडी उपलब्धि बता रहे हो परन्तु आधुनिक युग में जनता ने टैक्रोलजी को माध्यम बनाकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी शुरू कर दी है। शहरवासियों का आरोप है कि शहर स्मार्ट सिटी को लेकर अति उत्साहित है परन्तु क्या वाकई स्मार्ट बन पायेगा। यदि बात करे शहर की तो यहा एक तरफ सीविर जाम है तो दूसरी तरफ बरसात के दौरान शहर का प्रत्येक क्षेत्र को तालाब से कंमतर नही आंका जा सकता है। अब जब स्मार्ट सिटी की बात कही जा रही है तो शहर गंदगी के ढेर से अटा पडा हुआ है और आवागमन के लिए बनाई गई सिटी की सडक़ों पर गड्डो की भरमार लगी हुई है। इतना ही शहर में अवैध निमार्ण भी मिलीभगत की पोल खोलने के अपने आप में समर्थ है। अब जब सत्तारूढ़ दल के नेता व निगम अधिकारी चारो और मिठाईया बांट अपनी वाहवाही लूटने में लगे हुए है तो अब देखना यह है कि वह शहर में स्मार्ट सिटी का नारा कितना बुलद करते है।