तुम स्याह बादल बन आये थे आज मेरे देस और छा गए थे घटा बन घनघोर आकाश पर….मुझ पर…. बरसे थे बूँद बूँद…मुझ पर मैंने थाम लिया था तुम्हे अपनी खुली हथेलितों पर… तुम झरे थे बू... Read more
तुम स्याह बादल बन आये थे आज मेरे देस और छा गए थे घटा बन घनघोर आकाश पर….मुझ पर…. बरसे थे बूँद बूँद…मुझ पर मैंने थाम लिया था तुम्हे अपनी खुली हथेलितों पर… तुम झरे थे बू... Read more
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