फरीदाबाद। वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि फरीदाबाद शहर को ‘स्मार्ट सिटीÓ का स्वरूप प्रदान करने में विद्यार्थी अपनी अहम भूमिका निभाये तथा अपनी प्रतिभा एवं कौशल का उपयोग समाज की भलाई के लिए करें।
प्रो. दिनेश कुमार आज विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग द्वारा विज्ञान प्रसार के सहयोग से ‘अक्षय ऊर्जा में उन्नति एवं उद्यमिताÓ विषय पर छह दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम एवं कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला के दौरान लगभग 15 तकनीकी सत्र आयोजित किये गये जबकि 75 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों को सोलर तथा रोडियो किट बनाने की जानकारी भी दी गई। कार्यशाला के दौरान बनाई ऐसी 101 सोलर लाइट किट विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिये गांवों को भेंट की, जिसे गांव अलीपुर शिकारगाह के उप सरपंच श्री सतीश नागर ने कुलपति प्रो. दिनेश कुमार से सभी गांवों के प्रतिनिधि के रूप में सोलर लाइट्स की किट को ग्रहण किया। उल्लेखनीय है कि वाईएमसीए विश्वविद्यालय द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत पांच गांव नामत: अलीपुर सिकारगाह, सहरावक, तिलोरी खादर, राजपुर तथा तेजपुर कलां को गोद लिया हुआ है।कुलपति ने सभी विभागाध्यक्षों से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के अनुरूप विकसित करें ताकि विद्यार्थियों को इससे लाभ मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप विद्यार्थियों को कौशल विकास अभियान को आगे बढ़ाना चाहिए और देश के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सामाजिक सरोकार की अपनी जिम्मेदारियों को भली-भांति समझता है इसलिए, विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कार्यक्रमों में गांवों को जोड़ा गया है ताकि विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों का सीधा लाभ गांवों को भी मिले। गांव अलीपुर शिकारगाह के उप सरपंच सतीश नागर ने बताया कि गांवों में बिजली की काफी समस्या रहती है और विद्यार्थियों द्वारा भेंट की गई सोलर लाइट्स का फायदा ग्रामीणों को होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ मुनीष वशिष्ट ने छह दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम एवं कार्यशाला के विभिन्न सत्रों का व्यौरा प्रस्तुत किया तथा वक्ताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को सौर ऊर्जा उपकरणों का व्यवहारिक ज्ञान देना था ताकि पारंपरिक ऊर्जा तकनीकों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भविष्य की अक्षय ऊर्जा तकनीक एवं उपकरणों की जानकारी भी हो सके।कार्यक्रम के अंत में सहायक प्रोफेसर रश्मी चावला ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा तथा कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रदीप डिमरी ने किया।
