दोनों हाथों के बिना क्रिकेट खेलने वाले क्रिकेटर आमिर की खबर अमर उजाला में प्रकाशित होने के बाद सेना की 1 सेक्टर के तीन राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) ने उसकी मदद को हाथ आगे बढ़ाए हैं। तीन आरआर के सीओ कर्नल रोहित रावत ने बुधवार को आमिर से मुलाकात कर उन्हें क्रिकेट किट और स्मृति चिह्न भेंट किया।
कर्नल रोहित रावत ने बताया कि अमर उजाला में 18 अप्रैल के अंक में प्रकाशित खबर से उन्हें अनंतनाग के रहने वाले क्रिकेटर आमिर के बारे में जानकारी मिली, जिस पर सेना ने आमिर की मदद को ठानी।
बुधवार को इस संबंध में सेना की तीन आरआर के सीओ कर्नल रावत और अन्य अधिकारी आमिर के घर पहुंचे और उन्हें क्रिकेट से संबंधित जरूरी सामान उपलब्ध करवाए। इसके साथ ही सेना ने आमिर के जज्बे को देखते हुए उनकी मदद के लिए एक सहायक नियुक्त करने का एलान किया।
सेना आमिर के सहायक को पांच हजार रुपये प्रति माह वेतन देगी। आमिर के परिवार वालों से मुलाकात के बाद सेना के अधिकारी उन्हें पहलगाम के आर्मी गुडविल स्कूल लेकर गए। स्कूल में आमिर ने बच्चों से मुलाकात की और उनसे अपने दिल की बात साझा की।
आमिर ने नम आंखों से सेना की तारीफ करते हुए बताया कि जब एक हादसे में उनके दोनों हाथ कट गए थे तो सेना के डॉक्टर इलाज के लिए उन्हें आर्मी अस्पताल ले गए और बाद भी सेना ने इलाज के लिए उन्हें दिल्ली भी भेजा।
सेना ने आमिर के जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें और उनके परिवार को आश्वासन दिया कि भविष्य में भी सेना उनकी मदद करती रहेगी। वहीं आमिर क्रिकेट किट पाकर काफी खुश दिखे और सेना का धन्यवाद प्रकट किया। इसके साथ ही आमिर ने अमर उजाला का धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि वर्षों से कोई भी उनकी मदद नहीं कर रहा था, आज अमर उजाला की वजह से ही सेना उनकी मदद को आगे आई।
एक हादसे में आमिर को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े। उसके बाद भी वे एक बेहतरीन क्रिकेटर हैं। आमिर की प्रसिद्धि का अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि उनका मैच देखने के लिए दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
आमिर हादसे का जिक्र करते हुए बताते हैं कि बचपन में वे भी सभी बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी कर रहे थे, लेकिन 1997 में हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। आमिर ने बताया कि एक दिन वे अपने माता-पिता के लिए खाना लेकर मिल में गए थे, जब उनके माता-पिता खाना खाने में व्यस्त थे उसी वक्त वे मिल में लगी मशीनों से छेड़छाड़ करने लगे।
मशीन में उनके दोनों हाथ फंस गए और कंधे से कट गए। उस वक्त उनकी उम्र सात साल थी। हादसे के बाद करीब सात महीनों तक उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा। आमिर क्रिकेट के शौकीन थे और क्रिकेटर बनना चाहता थे, लेकिन दोनों हाथ खोने की वजह से उनका हौसला टूटता जा रहा था। अस्पताल से छुट्टी के कुछ ही दिन बाद आमिर फिर से बीमार पड़ गए। इलाज के लिए पैसे नहीं होने की वजह से उसके घर वालों को जमीन तक बेचनी पड़ी।
से उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठानी।दोनों हाथ न होने के बावजूद भी उनका हौसला बरकरार रहा और कड़ी मेहनत के बाद आमिर क्रिकेटर बनने में कामयाब हुए। वे पैरों की उंगलियों में गेंद फंसाकर गेंदबाजी करते हैं, जबकि गर्दन और कंधे की हड्डी में बैट फंसाकर बल्लेबाजी करते हैं।
इस समय वे जम्मू-कश्मीर पैरा क्रिकेट टीम के खिलाड़ी है। उन्होंने क्रिकेट के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। अभी वे स्नातक द्वितीय वर्ष में हैं। 2015 में जम्मू कश्मीर की पैरा टीम ने जब दिल्ली को हराया था उस वक्त आमिर ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। रियासत के जाने-माने क्रिकेटर भी आमिर का मैच देखने पहुंचते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं।
आमिर का कहना है कि सरकार की ओर से आज तक उसे कोई सहायता नहीं उपलब्ध करवाई गई। उन्होंने कहा कि सेना कश्मीर में बहुत सारी क्रिकेट प्रतियोगिताएं कराती रहती है, वे चाहते हैं कि सेना उनकी मदद को आगे आए। उनका एक और सपना है कि क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर उन्हें अपनी क्रिकेट एकेडमी में शामिल कर उन्हें क्रिकेट के टिप्स दें, ताकि वे और अच्छा प्रदर्शन कर सकें।