भगवान परशुराम को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञाता: बलजीत कौशिक
फरीदाबाद। महर्षि परशुराम जयंती के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय ब्रह्मर्षि समाज द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया और छबील लगाकर लोगों को मीठा पानी वितरित किया। इससे पूर्व समाज द्वारा श्री परशुराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई उनके व्यक्तित्व एवं जीवन से लोगों को अवगत कराया। इससे पूर्व समाज के पदाधिकारियों बी डी कौशिक, सतीश शर्मा, ओमप्रकाश गोड, पी सी गौड, सोमदत्त गौड, कुणालकांत, प्रदीप वत्स आदि ने मुख्य अतिथि अतुल त्रिखा एवं विशिष्ट अतिथि बलजीत कौशिक का बुके देकर स्वागत किया। बलजीत कौशिक ने कहा कि भगवान परशुराम को शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञाता माना जाता है। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ब्राह्म को जानने वाले को ब्राह्मण कहा जाता है। तीन युगों तक वैदिक सनातन धर्म में ज्ञान वग्र को ब्राह्मण ने सदैव ज्ञान दिया, धर्म को मजबूत किया, परंतु कलयुग में धर्म और ब्राह्मण दोनों को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचा है। समाज का मुख्य अतिथि अतुल त्रिखा ने इस अवसर पर उपस्थित सभी ब्राह्मण बंधुओं को भगवान परशुराम के विभिन्न रूपों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारा इतिहास रहा है कि हमें तपस्वी और शास्त्रों का ज्ञाता कहा जाता है। मगर जब एक तपस्वी शस्त्र उठा लेता है, तो फिर उसका सामना करने की हिम्मत किसी की नहीं होती। अतुल त्रिखा ने कहा कि आज हम ब्राह्मणों में ही आपसी मतभेद बढऩे लगे हैं और धीरे-धीरे इस बिखराव ने विकराल रूप धारण कर लिया है, जिसका सीधा असर हमारे धर्म पर पड़ा है। इस मौके पर पं. रघुनाथ शर्मा, विजय थपलियाल, राकेश पंडित, किशोर शर्मा, नारायण शर्मा, हरीश शर्मा आदि उपस्थित थे।