फरीदाबाद। पत्रकार पूजा तिवारी मामला सर्वाधिक सुर्खियों में बना हुआ है। हो भी क्यो नही जब बात किसी ऐसी महिला पत्रकार से संबधित है,जो कन्या भ्रूण हत्या को लेकर शहर में काफी प्रसासरत्त रही। का पुलिस ने बेशक अपना जांच की दिशा में परिर्वतन तो किया परन्तु स्थिती में ज्यादा फर्क नही दिखाई दे रहा है। इंस्पेक्टर अमित के रिमांड पेपर पुलिस जांच पर सवालिया निशान खडे कर रहा है। अदालत में पेश किए गए रिमांड पेपर अपने आप में जांच का विषय है क्योकि चार दिन में केवल पुलिस मुलजिम के बयान ही दर्ज कर पाई है। पुलिस ने अदालत से चार दिन का रिमांड मांगा था ताकि वह पूजा के मोबाइल एंव लैपटॉप बरामद कर सके जबकि मृतिका का भाई सौरभ पूर्व में ही यह समान पुलिस को सौप चुका है। पुलिस अभी भी कोई महत्यपूर्ण सबूत नही जुटा पाई है फिर भी अमित का रिमांड ना बढाए जाने की बात हजम नही हो पा रही है। पुलिस ने मुख्य दंडाधिकारी तरूण ङ्क्षसद्यल की अदालत में पेश कर इंस्पेक्टर अमित को सीधे जेल भेजने की मांग की थी। उधर अपने बयान में अमित ने बताया कि वह पूजा को विगत् पांच वर्षो से जानता है और पूजा के घर में आना जाना लगा रहता था। इतना ही नही उसके फोन पर मेरी बात होती रहती थी। घटना की रात वह 8 बजे के आसपास वह पूजा के फ्लैट पर गया था जहां घटना घटित हुई थी ,परन्तु काम के चलते वह चला गया और रात्रि 11 बजे के आसपास वापिस फ्लैट में आया था। उसने बताया कि दोना पार्क में गए थे, जहां उन दोनो का किसी बात पर झगडा हुआ था फिर पूजा फ्लैट में वापिस चली आई तथा वह भी पीछे चला आया। वहा पूजा की सहेली आमरीन मौजूद थी। आमरीन के अपने कमरे के जाने बाद पूजा से दोबार झगडा हुआ और पूजा ने तैश में आकर फ्लैट की बालकानी से नीचे छंलाग लगा कर आत्महत्या कर ली। पूजा तिवारी के घरवाले का कहना था कि अमित पर उन्हे बहुत अधिक विश्वास था पर उसने विश्वासघात कर दिया। अगर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके ऑडियो से पता चला कि इंस्पेक्टर अमित बिटिया पूजा तिवारी को प्रताडित किया करता था।