फरीदाबाद। पोर्टल पत्रकार पूजा तिवारी की रहस्यमय मौत के मामले में पुलिस द्वारा अदालत से दो सप्ताह का समय मांगा जाना अभी भी संशय की स्थिती में फसा हुआ है। काफी समय बीत जाने के बाद भी पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नही पहुच पाई है जबकि नीमका जेल में बंद निलंबित इंस्पेक्टर अमित को बचाए जाने की चर्चा भी बनी हुई है। इस तरह के माहौल में पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने में असफल ही दिखाई दे रही है। या फिर यह भी कह सकते है कि उन्होने इस मामले में ठंडे बस्ते में डालने का विचार बना लिया है। इसलिए अभी तक जमीनी हकीकत से पुलिस रूबरू नही हो पाई है। मृतिका पूजा तिवारी की स्थिती को लेकर रहस्यमाई स्थिती अब और गम्भीर होती जा रही है। शुरूआती दौर में पुलिस का केस को लेकर डुलमुल रवैया भी जगजाहिर था। मीडिया में इस मुद्दे के ज्वलंत होने के बाद उन्होने कार्रवाही में थोडी तब्दीली करते हुए अपने विभाग के इस्पेक्टर अमित को गिरफ्तार कर उसका चार दिन का रिमांड अदालत से मांग उचित कार्रवाही का आश्वान मृतिका के परिवार को दिया था परन्तु स्थिती में कोई खास परिर्वतन नही आया और अमित से पुलिस खास कुछ सुराग नही पता लगा पाई या कह सकते है कि उन्होने इसके लिए कोई प्रयास ही नही किए। रिमांड के बाद अदालत से अमित को चौदह दिन की न्यासिक हिरासत जेल भेजने की बात पुलिस ने रखी और उसके बाद आरोपी इंस्पेक्टर अमित जेल भेज दिए गए। जहां उनकी न्यायिक हिरासत को सात जून तक बढा दिया गया। हांलाकि अदालत से पुलिस ने केस को जांच को लेकर दो सप्ताह समय अवधि की गुजारिश भी की जिसे मान कर उन्हे समय दे दिया गया है। विद्ति हो कि केस को लेकर पुलिस का शुरूआती दौर से ही रवैया कुछ जिम्मेदाराना नही रहा था। अपने विभाग के इंस्पेक्टर के नाम आने के बाद यह स्थिती और लचर गई थी। बाद में मीडिया में सुर्खिया बन चुका यह केस मुख्यमंत्री के दरबार तक जा पहुचा और उनकी पहल के बाद पुलिस ने अपनी कार्रवाही में थोडा तेजी लाते हुए बदलाव किया। लेेकिन अभी भी यह केस कछुए की चाल चल रहा है। चर्चा यह भी है कि अपने विभाग के इंस्पेक्टर अमित को भी बचाए जाने की जुगत पुलिस विभाग द्वारा लगाए जा रही है इसलिए वह केस में बारीक पहुलओं पर गौर नही कर रही है।