फरीदाबाद। जिला बॉर एसोसिएशन के पूर्व वरिष्ठ उपप्रधान व को-ऑप्टिड मै बर पंजाब एण्ड हरियाणा बॉर काऊंसिल चंडीगढ एव वरिष्ठ अधिवक्ता सतेन्द्र भड़ाना ने कहा है कि हरियाणा में अलग हाईकोर्ट बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में पास हो गया है जिसके लिए हरियाणा सरकार बधाई की पात्र है। सतेन्द्र भड़ाना ने कहा कि हरियाणा देश के २९ राज्यों में से एक है जो उत्तरी भारत में है। यह राज्य १ नवंबर १९६६ को अस्तित्व में आया था। यह राज्य पंजाब,हिमाचल प्रदेश,राजस्थान,सत्तर प्रदेश व देश की राजधानी दिल्ली से लगता हुआ है इसके अलावा यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(एनसीआर) के विकास के लिए एनसीआर में शामिल है। उन्होनें कहा कि वर्ष २०१२ में इसकी जनसं या २५.८ मिलियन,२०१३ में २६.१ मिलियन,२०१४ में २६.५ मिलियन,२०१५ में २६.९ मिलियन,२०१७ में २७.६ मिलियन है और जो प्रत्येक वर्ष में १.८ मिलियन बढ़ रही है। लेकिन आज तक हरियाणा का अलग से हाईाकोर्ट नहीं है। यह मांग १९६६ से चली आ रही है। भारतीय संविधान के आर्टिकल २१४ में प्रावधान है कि हर राज्य का अलग हाईकोर्ट होना चाहिए। इस राज्य को अस्तित्व में आए ५० वर्ष हो गए और अभी तक इसका अलग हाईकोर्ट नहीं है। सतेन्द्र भड़ाना ने कहा कि वर्तमान में हाईकोर्ट में ८५ जज होने चाहिए। परन्तु अब तक १८ ही हरियाणा से है। उन्होनें कहा कि हरियाणा के अधिवक्ताओं को भी अलग हाईकोर्ट नहीं होने की वजह से प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। अलग हाईकोर्ट ना होने की वजह से ही न्याय मिलने में देरी हो रही है। रेगूलर सैकेंड अपील(आरएसए) भी काफी वर्षो से पेडिगं है। उन्होनें कहा कि जस्टिस डिले,जस्टिस डिनाइड यानि की न्याय मिलने में देरी से न्याय का महत्व खत्म हो जाता है। सतेन्द्र भड़ाना ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव पारित करना लोगों को न्याय दिलवानें में मदद करना है और मु यमंत्री मनोहर लाल व उनकी सरकार बधाई के पात्र है। सतेन्द्र भड़ाना ने कहा कि केन्द्र सरकार को एनसीआर का अलग हाईकोर्ट भी बनाना चाहिए जाकि केन्द्र सरकार के अधीन हो। उन्होनें कहा कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड अलग से काम कर रहा है उसी की तर्ज पर एनसीआर हाईकोर्ट होना चाहिए। सतेन्द्र भड़ाना ने कहा कि एनसीआर का हाईकोर्ट दिल्ली,फरीदाबाद,गुुरूग्राम,नोएडा व सोनीपत कहीं भी हो सकता है तभी न्याय मिलने में मदद हो सकता है। क्योकि भारत की न्याय व्यवस्था पर भारत की जनता को पूर्ण विश्वास है।