फरीदाबाद। छुटभैय्या नेताओं की भरमार शहर में निरंतर बढती जा रही है। जिसकी वजह से जनता की सेवा करने वाले जनप्रतिनिधीयों की छवि लोगो के समक्ष खराब होती जा रही है। इन छुटभैय्या नेताओं की दादागिरी का आलम यह है कि नेतागिरी के दम पर इन्होने लोगो का जीना दुश्वार कर रखा है। सरकारी विभागों में सैटिग का दावा करने वाले यह नेता सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए पार्टी से जुडे हुए है। इन नेताओं का आलम यह है कि अगर राजनीतिक स्तर और अनुभव की बात की जाए तो यह शून्य ही मिलेगा। पार्टी से वह लोग भी जुडे हुए है जिनके न्यूतम स्तर का आंकलन किया जाए तो वह हास्यपद की दिखाई पडता है। अभी हालफिहलाल में एक किस्सा सुनने को मिला कि जिसमें चश्में वाली पार्टी से सबंधित रखने वाले एक सज्जन किसी घी की कंपनी में कार्य किया करते थे अब वह पार्टी के सदस्य बन कर नेताजी बन गए। अक्सर दूसरों की फटीक में टांग अडाने वाले यह घी बेचने वाला नेता फोन पर भी रूपयों की लेनदेन निपटाने का दावा करते है। बडी शान से फोन पर अपने परिचय स्वरूव नाम के साथ चश्मे पार्टी का नाम भी जोड देते है पर जनाब भूल गए कि राजनीति में घी नही मक्खन चला करता है। हद तो तब हो गई छानबीन में पाया गया कि यह छूटभैय्या घी वाले नेता सिर्फ कुछ सालों से पार्टी में है जबकि अपने आप को किसी कद्दावर नेता की क्षेणी में आंकना नही भूलते। अब इस तरह के छूटभैय्या नेताओं से चश्मे वाली पार्टी की छवि खराब ना हो यह तो आलाकमान को देखना है।