फरीदाबाद /-दयालबाग स्थित सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल में ग्रांड पेरेंट्स डे के अवसर पर प्री प्राइमरी विंग के बच्चों ने अपने -अपने दादा-दादी , नाना-नानी , को सम्मान देते हुए अपने जीवन में उनके महत्त्व को बताया ।
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथि गोपी मीना, सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल के मुख्य निदेशक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र भड़ाना व स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती देबजानी सेन गुप्ता तथा उप प्रधानाचार्या श्रीमती नंदा शर्मा जी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया ।
इस अवसर पर नन्हें-नन्हें बच्चों द्वारा विविध रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए । जिन्हें देखकर सभी अभिभावक हर्ष व उल्लास का अनुभव हुआ । बच्चों ने अपने दादा-दादी व नाना-नानी के महत्त्व व उनके द्वारा दी गई शिक्षा के विषय में भी बताया । जिसे सुन कर सभी ‘ग्रांड पेरेंट्स’ हर्षित थे । कार्यक्रम में विशेष था- नाटक व नन्हें नन्हें बच्चों का मस्ती भरा डांस ।\
ग्रांड पेरेंट्स डे के अवसर पर गोपी मीना जी ने सभी को शुभकामनाएँ देते हुए कहा,जीवन में हमारे बुजुर्ग ही हमें अपना बुढ़ापे का सहारा समझते है इनका अस्तित्व हमारे जीवन को नए ऊर्जा देता है | हमें उनके सम्मान को ऊपर रखते हुए उनकी छाया में ही जीवन गुजारना चाहिए | कार्यक्रम में उपस्थित सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल के मुख्य निदेशक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र भड़ाना ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए ‘ग्रांड पेरेंट्स’ की विशेषता को बताते हुए कहा कि ग्रांड पेरेंट्स वो पेड़ कि छाँव है जो हमें हर परेशानी व सफलता में सही रास्ता बताते है । उनके द्वारा दिए गए संस्कार व नैतिक शिक्षा द्वारा हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है । उन्होंने इस बात पर दुःख भी जताया कि आज हम अपने ग्रांड पेरेंट्स को उतना समय नहीं देते जितना उनके लिए आवश्यक है । हमें अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्त्व देते वाले हमारे दादा-दादी आदि आज वृद्धाश्रम में अपना जीवन बिताने के लिए मजबूत है । उन्होंने सभी से निवेदन करते हुए कहा कि ग्रांड पेरेंट्स को असहाय न छोड़ कर उन्हें प्यार और समय दे यही हमारा कर्तव्य है और यही हमारे संस्कार है ।
कार्यक्रम के अंत में स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती देबजानी सेन गुप्ता ने सभी की उपस्थिति पर धन्यवाद देते हुए कहा कि आज का दिन तभी सफल होगा जब हम अपने बूढ़े माता-पिता , दादा-दादी व नाना-नानी को खुश रखे और उनके लिए समय निकाले। ये वो वृक्ष है जो स्वयं तप कर हमें छाँव देते है और हम इन्हे अनदेखा करते है । वास्तविकता में खास कर बच्चों से यही विनती है कि आप सब अपने ग्रांड पेरेंट्स को अकेला न छोड़े बल्कि खूब ख़ुशी और प्यार दे। कार्यकर्म के अंत में सभी ग्रांड पेरेंट्स को उपहार स्वरुप पौधे दिए गए ।