फरीदाबाद। उम्र के इस पड़ाव में पूर्व मंत्री एसी चौधरी पर एक बार फिर राजनीतिक महत्वकांशाए हावी हो गई। शायद इस बार यह अपेक्षा अपने सुपुत्र विनय चौधरी को राजनीतिक विरासत सुर्पद करने की एक पहल भी हो। हांलाकि मंत्री पुत्र विनय चौधरी राजनीति में अपना वो दबदबा नही बना पाए जिसकी उम्मीद पूर्व केबिनट मंत्री के समर्थक लगाए हुए थे। चर्चा यह भी है कि पूर्व मंत्री की मंशा शायद प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की भी है,जिसकी बात वह बेशक सार्वजनिक मंच पर ना कहे पर उनकी यह बात उनके चेहरे पर आसानी से पढ़ी जा सकती है। सार्वजनिक मंच पर एक बार फिर कांग्रेस का समर्थन करते हुए एस चौधरी का दावा है कि कांग्रेस से नाराजगी की वजह से आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के माध्यम से उनकी वापिसी करवाई है। उनका दावे की सच्चाई क्या है यह बात आगामी विधानसभा चुनावों में पता चल जायेगी पर यह तो तयशुदा है कि कांग्रेस पार्टी छोडने का खामियजा तो पूर्व मंत्री भुगत चुके है। यह भी जगजाहिर है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से उनका सदैव से 36 का आंकडा रहा है। यही वजह रही थी कि हुड्डा ने उन्हे कभी भी उन्हे बडख़ल विधानसभा से चुनाव नही लडने दिया जिसकी ख्वाहिश वो हमेशा रखते आए है। शायद यह भी एक बडी वजह हो सकती है कि वह अब हुड्डा के विरोधी तंवर गु्रप के माध्यम से अपनी दबी हुई आकांशाओं की पूर्ति कर सके। पंजाबियों का सबसे बडे मसीहा बतलाने वाले एसी चौधरी इस बार बडख़ल विधानसभा से पंजाबी नारा देकर आगामी विधानसभा टिकट के लिए अपने पैर मजबूत करने में लगे हुए है। पर इसी विधानसभा से पूर्व विधायक एंव मंत्री महेन्द्र प्रताप की टिकट काटना शायद इतना आसान नही होगा। बेशक यह पंजाबी बाहुबल्य क्षेत्र है परन्तु इस क्षेत्र में पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप भी अपना दबदबा रखते है। उनके परिवार से जुडी हुई उनकी पुत्रवधु भी पंजाबी समुदाय से ताल्लुकात रखती है जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण बात हो सकती है। अक्सर लोगों को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि पूर्व केबिनट मंत्री एसी चौधरी अपेक्षा के अनुरूप अपनी कौम के प्रति उतने सजग नही दिखाई पडते है जो अन्य बिरादरियों के नेता करते है। यही वजह है कि पंजाबी राजनीति से उनके समुदाय के लोगों ने ही उनके किनारा कर लिया औा पंजाबी बाहुबल्य क्षेत्र अन्य नेता की झोली में चला गया। काफी समय एकंातवास में रहकर अब पुन: केबिनट मंत्री सक्रिय हो चुके है और इसके लिए विधिवत उन्होने प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी में वापिसी कर ली । राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि इस बार एसी चौधरी की अपेक्षाओं का अनुरूप तुलनात्मक रूप से पूर्व से अधिक विस्तारपूर्वक होगा क्योकि प्रदेश में जाट बनाम नॉन जाट की आंधी बहुत त्रीव है और जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए है वह उनकी छवि को धूमिल कर गया। इसलिए कांग्रेस ने उनका साथ छोडकर पार्टी की छवि को साफ करने के लिए राजीनिति के गुरू माने जाने वाले नॉन जाट नेता भजनलाल के सुपुत्र कुलदीप बिश्रोई का दामन थाम नॉन-जाट लोगों में उनके साथ होने का एक संदेश प्रेषित किया। इस संदेश को पूर्व केबिनट मंत्री एसी चौधरी दोहराना चाहते है और अपने आप को नॉन-जाट राजनीतिक में कद्दावर नेता साबित कर मुख्यमंत्री बनने की अपनी मंशा को पूर्ण करना चाह रहे है।