फरीदाबाद। रमजान एक ऐसा पाक महीना है जिसमें रोजा रखने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है, और इस माहौल में अपने आपको ढ़ालने से रोक नहीं पाते। हर उम्र के लोग रोजा रखते हैं। रोजा ही अपनी आस्था प्रकट करने का सबसे सरल तरीका मानते हैं। ऐसे में वे ये भूल जाते हैं कि वे किसी बीमारी से ग्रस्त है और उन्हें भूखा-प्यासा रहने से कोई परेशानी भी हो सकती है। इनमें डायबिटीज़ रोगी मुख्य हैं जिन्हें डॉक्टर भूखा रहने के लिए मना करते हैं और उन्हें हर दो घंटे के बाद कुछ न कुछ खाने की सलाह दी जाती है।लंबे समय तक कुछ न खाने के कारण शुगर लेवल कम होने का खतरा बना रहता है। अगर डायबिटीज़ रोगी रोजा रखते हैं तो उन्हें रोजा रखने से पहले अपने डॉक्टर से जांच एवं सलाह जरूर लेनी चाहिए। ताकि डॉक्टर मरीज को सही दिशा-निर्देश दे सके। उन्हें रमजान के दौरान भी अपने शुगर लेवल की जांच कराते रहना चाहिए। इस दौरान शुगर लेवल कम या ज्यादा होने पर रोजा नहीं रखना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पूरे दिन भूखा रहने और रात के समय भारी खाने का सेवन करने से सिर दर्द होना, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना जैसी समस्याएं शुरू हो जाती है। इसलिए इस प्रकार की कोई समस्या हो उससे पहले लोगों को अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फल, जूस या सलाद का सेवन करते रहना चाहिए। ये डिहाइड्रेशन से बचाते हैं। इसके अलावा तेल और मसालेदार खाने के सेवन से बचना चाहिए। एशियन अस्पताल के एंडोक्रीनोलॉजिस्ट डॉ संदीप खरब ने बताया कि भूखा रहने पर शुगर लेवल कम होने का खतरा बना रहता है। मधुमेह रोगी रोजा रखने के कारण दवा नहीं लेते इससे शुगर लेवल बढऩे लगता है जोकि स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक साबित हो सकता है। मधुमेह रोगी अगर रोजा रखता है तो एसे लंबे समय तक भूखा-प्यासा नहीं रखना चाहिए। कुछ लोग पानी का सेवन भी कम करते हैं। ऐसे में वे डिहाइडे्रशन के शिकार होते हैं। पानी की मात्रा कम न होने दें। नमकीन दही, छाछ, नारियल पानी व रसीले फलों का सेवन करें ताकि शरीर में हो रही पानी की कमी की पूर्ति हो सके। अगर कोई ड्राई फू्रट का सेवन करता है तो अखरोट और बादाम सबसे चयन है। रोजे के दौरान दवा का सेवन नहीं छोडना चाहिए, बल्कि डॉक्टर की सलाह से दवा में बदलाव करना चाहिए।