Faridabad(standard news/manoj bhadwaj)। एशियन अस्पताल ने ब्लड कैंसर डे के अवसर पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए एक स्टेम सैल बाइक रैली का आयोजन किया। इस मौके पर एशियन अस्पताल के एडमिन डायरेक्टर अनुपम पांडे, अंतर्राष्ट्रीय पेशंट विभाग डायरेक्टर नेहा पांडे, डॉ. डी.के केसर, डॉ. रमेश चांदना, डॉ. पी.एस आहुजा, डॉ.प्रशांत मेहता, डॉ. नीतू सिंघल, डॉ. रोहित नय्यर और मुख्य अतिथि डॉ. असीम तिवारी एचओडी ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन मेंदांता, डॉ. राहुल भार्गव फोर्टिस अस्पताल, डॉ. जसमीत कौर लाल पैथर लैब्स के करकमलों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। एशियन अस्पताल के बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट के हैड डॉ. प्रशांत मेहता ने बताया कि भारत में हर साल खून के कैंसर के हजारों मरीज समय पर इलाज न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में समा जाते हैं। उनकी मौत का मुख्य कारण समय पर उनके स्टेम सैल का मैचिंग डोनर का न मिल पाना है। जागरुकता के अभाव में आंकडों के अनुसार रजिस्टर डोनर की संख्या बहुत कम है। लोगों में स्टेम सेल ट्रंासप्लांट या बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए 70 बाइकर्स ने स्टेम सैल रैली का आयोजन किया गया। इसके अलावा जीन बंधु नाम की रजिस्ट्री में स्टेम सैल डोनर को भी रजिस्टर भी किया गया। इसमें लोगों ने बढ़-चढक़र भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान तकरीबन 48 लोगों ने स्टेम सैल के लिए रजिस्टर कराया। डॉ. प्रशांत का कहना है कि पूरी दुनिया में लगभग 3 करोड़ डोनर रजिस्टर हैं, जबकि भारत में 3.5 लाख डोनर ही रजिस्टर हैं। ऐसे में लोगों में जागरुकता लाना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि बोन मैरो ट्रंासप्लांट एक बेहद कारगर प्रक्रिया है, जोकि आज की तारीख में रक्तदान से मिलती-जुलती है। इसमें डोनर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेका अस्पताल की अत्याधुनिक यूनिट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा, ब्लड प्रोडक्ट इरेडिएशन, हेपा फिल्टर से लेस रूम, पॉजिटिव प्रेशर रूम और एक वरिष्ठ एवं अनुभवी डॉक्टरों की टीम है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय डोनर डाटा के माध्यम से स्टेम सैल डोनर की खोज की सुविधा भी उपलबध है।डॉ. प्रशांत मेहता ने बताया कि रिश्ेतदारों में बोन मैरो का मेल खाना हमेेशा संभव नहीं हो पाता। ऐसे में ब्लड कैंसर और ब्लड की बीमारियों के लिए मेल खाते हुए गैर रिश्तेदार डोनर से ट्रंासप्लांंट करना ही सबसे उत्तम इलाज है। मेल करने के लिए व्यक्ति की एचएलए जांच की जाती है। इस तरह का इलाज दिल्ली-एनसीआर के कुछ ही गिने-चुने अस्पतालों में उपलब्ध है, जिनमें एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड कैंसर सेंटर भी एक है। जिसमें अब तक 10 सफलतापूर्वक बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी किए जा चुके हैं। इनमें एप्लास्टिक अनीमिया, मल्टीपल मायलोमा, ब्लड कैंसर एवं एमडीएस जैसी गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों का ट्रंासप्लांट किया गया है। एशियन अस्पताल के एडमिन डायरेक्टर अनुपम पांडे ने कहा कि लोगों में स्टेम सेल के प्रति जागरुकता लाने के लिए एक नई किरण नामक स्टेम सेल बाइक रैली का आयोजन किया गया है। स्टेम सेल दान करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाग लेना चाहिए, ताकि लोगों को जीवनदान दिया जा सके।