फरीदाबाद। चर्चा जिला फरीदाबाद सभी विधानसभा सीट की(भाग-1) में फरीदाबाद के सभी विधानसभा सीट की समीक्षा की जायेगी ताकि वास्तिवक स्थिती का आंकलन किया जा सके। हांलाकि समीक्षा करना एक बडा पेचीदा कार्य है परन्तु इस स्थिती में चर्चाए अपना बहुत अहम रोल निभाती है। इस क्षृंखला में सर्वप्रथम बडख़ल विधानसभा की बात की तो वर्तमान स्थिती आज इस तरह की हो गई है जहां लोग कमल के विधायक की कार्यशैली से नाखुश है वही जनता के बीच उनका समन्वय भी गडबडा गया है। निरंतर विधानसभा में जटिल होती पानी समस्या ने हाहाकार मचा रखा है जिस लेकर लोगों द्वारा बहुत बार विधायक के घर प्रदर्शन कर अपना रोष व्यक्त किया। विकास कार्य सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गए है । बजट और खर्चा भी प्रर्दशित किया गया पर इस बडख़ल विधानसभा के लिए प्रर्दशित बजट पर कुछ सटीक नही कहा जा सकता । अगर बात की जाए आंकडों की तो विकास पर किए गए खर्च का प्रतिशत की मजबूत दावेदारी की बात हजम नही हो पायेगी। इसलिए जनता विकल्प के तौर पर अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरफ अपना रूझान कर सकती है। अगर बात की जाए पूर्व हाथ वाले विधायक और काफी मंत्रालय के मंत्री रहे नेता की तो उनकी इस विधानसभा में एक वोट बैल्ट निश्चित है जो कि सिर्फ उन्हे ही अपना वोट डालना पंसद करती है। काफी लम्बे समय तक इस विधानसभा से जनप्रतिनिधी रहे हाथ वाले नेता का समीकरण इस लिए भी सटीक बैठ सकता है क्योकि उनके पास जहां अपना एक वोट बैक निश्चित है वही अपने समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय(जो कि इस विधानसभा में बाहुबल्य है) के लोगों को अपनी और आर्कषित करने के लिए परिवार में एक सदस्य है। पर इस बार उनके लिए टिकट की राह आसान नही होगी क्योकि अब अन्य समुदाय के लोग जो कि इस क्षेत्र में बाहुबल्य है उनके द्वारा चर्चा है कि अपने ही समुदाय से किसी को उम्मीदवार बनाया जाए। जानकारी यह भी होनी चाहिए कि इस विधानसभा से हाथ से ही बाहुबल्य समुदाय से जुडे हुए एक नेता जो कि केबिनट मंत्री भी रहे अब वह लोगों के मध्य तालमेल नही बना पा रहे है । टिकट की दावेदारी उनके द्वारा भी की जा सकती है क्योकि इस बार कमल के विधायक का बिगडता जनता से समन्वय उन्हे पुन: राजनीति की ओर जाने की प्रेरणा दे रहा है। पर जनता से गडबडाया तालमेल टिकट की लिए उन्हे भी सघर्ष करवा सकता है। इसलिए इस बार अन्य जो कि हाथ से जुडे हुए हो सकते है और बाहुबल्य जाति से संबध रखते हो वो इस प्रयास में रहेगे कि वह जातीय समीकरण का धु्रवीकरण कर अपना पक्ष टिकट के लिए रख पाए। वही अन्य की बात की जाए तो दिल्ली की राजनीतिक सत्तारूढ पार्टी से संबध रखने वाले नेता जो कि इस विधानसभा से टिकट के दावेदार तो हो सकते है परन्तु जीत सुनिश्चित कर पायेगे कि नही यह संशयित है। वजह स्पष्ट है कि( दिल्ली की राजनीतिक सत्तारूढ पार्टी से संबध रखने वाले नेता) का पूर्व में राजनीतिक सफर भी पार्टियों से मध्य निकल कर अपनी स्थिती को इस क्षेत्र में मजबूत नही दिखा रहा है। राजनीतिक सफर में (हाथी,हाथ और कमल के साथ अन्य) से बहुत जल्दी इनके द्वारा त्याग दिया गया। इसलिए जनता के बीच मजबूती की स्थिती का आंकलन अभी तय करना मुश्किल होगा। पूर्व में हाथी के साथ चुनाव लडना इनके लिए फायदेमंद भी रहा क्योकि काफी अच्छा वोट प्रतिशत इनके पास रहा । इसकी एक वजह यह भी थी कि हाथी का एक निश्चित वोट इनकों सीधे तौर पर मिला । परन्तु अब इस वोट पर हाथ पार्टी सेध लगाने की कोशिश करेगी क्योकि दिल्ली वाली पार्टी का इनके बीच जनाधार नही है। इसलिए सीधे तौर पर यह नुक्षान दिल्ली वाली पार्टी को होने जा रहा है। इस स्थिती में सबसे कमजोर उम्मीदवार यह दिखाई पड रहे है। अब बात की जाए जनता की तो इस बार इनके द्वारा विजयी उम्मीदवार को दिए भविष्य के वोट को किसी चम्तकारिक रूप सें आंका जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी। क्योकि स्थिती का आंकलन अभी तक किसी के पक्ष में पूर्ण रूप से नही जा रहा है पर इसमे कोई दो राय नही है कि इस बार सघर्ष कमल और हाथ के मध्य होने जा रहा है जबकि अन्य पार्टी का इस क्षेत्र में सकारत्मक वोट नगण्य के बराबर है।