Faridabad/Haryana। हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद हटाए गए चारों मुख्य संसदीय सचिवों को दिक्कतों का सामना करना पड सकता हैं। मामला यह हैं कि आम आदमी पार्टी सभी विधायकों को प्रदेश सरकार द्वारा मुहैया करवाई गई सुविधा को आधार बनाकर चुनाव आयोग एंव राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की हैं। आम आदमी पार्टी ने सकेंत यह भी दिए हैं कि यदि 2 माह के भीतर कार्रवाही नही होती है तो वह हाईकोर्ट जा सकती हैं। पता चला हैं कि आप पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने चुनाव आयोग एंव राष्ट्रपति को लिखित पत्राचार के माध्यम से बताया कि सभी मुख्य ससंदीय सचिवों को 37000/-रूपयों को अतिरिक्त भुगतान करने के बावजूद भी मुख्यमंत्री ने सभी के लिए लगभग पौने दो करोड़ रूपयों की स्वैच्छिक ग्रांट जारी की हुई है जबकि विधायकों के लिए इस तरह की किसी भी गा्रंट का प्रावाधान नही हैं। इस ग्रांट के तहत प्रत्येक सभी विधायकों को प्रत्येक महीने ढाई लाख रूपयों से ज्यादा वेतन के साथ-साथ अन्य सुविधाए दी गई हैं। इतना ही नही आरोप यह भी हैं कि सभी विधायकों को ऑफिस,घर, गाडी,सुरक्षा एंव स्टाफ की सुविधा अलग देने के नाम पर 10 करोड़ रूपयें खर्च किए गए हैं। आप पार्टी की मांग हैं कि यह सभी रूपयें चारों विधाकयों से रिकवर करना चाहिए। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 191 के अनुसार लाभ का पद संभाल रहे सभी विधायकों की सदस्यता रदद कर देनी चाहिए। बताया गया हैं इस नियम का विवरण हरियाणा विधानसभा के वेबसाइट पर एंटी-डिफेक्षन लॉ में इनका साफ उल्लेख हैं। इस तरह के मामलें में कलकत्ता हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए विधाकयों की सदस्यता तक रद्द कर दी थी। इसलिए मांग यह हैं कि नैतिकता के आधार पर चारों बर्खास्त सीपीएस विधायक पद से इस्तीफा दे या फिर स्वंय मुख्यमंत्री इनसे इस्तीफा ले ले।