फरीदाबाद। रेजीडेन्ट वैलफेयर एसोसिएशनों, किसानों, नागरिकों, सामाजिक-धार्मिक संगठनों एवं ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में 23 सब-डिविजनों को निजीकरण करने के भाजपा सरकार के निर्णय को जनविरोधी करार देते हुए बिजली कर्मचारियों की इसके विरोध में 29-30 जून को होने वाली दो दिवसीय हड़ताल का पुरजोर समर्थन करने का ऐलान किया है। एन.एच.2 स्थित महावीर सामुदायिक भवन में सब-डिविजनों के निजीकरण के आम जनता पर पडऩे वाले प्रभावों विषय पर आयोजित सेमीनार में इस निर्णय का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। उपभोक्ता एवं कर्मचारी संयुक्त सेमीनार का आयोजन हरियाणा ज्वाईंट एक्शन कमेटी पॉवर ने किया था। कमेटी के सर्कल सचिव संतराम लाम्बा व अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस सेमीनार में बड़ी तादाद में उपरोक्त के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कमेटी के सदस्य सतपाल नरवत द्वारा संचालित इस सेमीनार में सभी सैक्टरों, कॉलोनियों व गांवों में इसी प्रकार के सेमीनारों का आयोजन करने का निर्णय लिया गया। हरियाणा ज्वाईंट एक्शन कमेटी पॉवर के वरिष्ठ सदस्य एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लाम्बा ने बिजली कर्मचारियों का पक्ष प्रस्तुत करते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि जनता के खून-पसीने और हजारों बिजली कर्मचारियों की शहादत से खड़े किए गए बिजली विभाग को भारी मुनाफा कमाने के लिए ठेकेदारों के हवाले किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन सब-डिविजनों के कार्यों को निजी हाथों में दिया जा रहा है, वहां 14 प्रतिशत के आसपास लाईन लॉसिज है और लगभग शत-प्रतिशत रिलाईजेशन है। इसके बावजूद इनता निजीकरण के लिए चयन करना ही बहुत कुछ स्वत: कह रहा है। जनता को 24 घंटे व सस्ती दरों पर बिजली देने के ठोस कदम उठाने की बजाय सरकार अपने पॉवर प्लांटों को नो डिमांड पर बंद करके अदानी ग्रुप से बिजली खरीद रही है। इन नीतियों के कारण लाईन लॉसिज व भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। जिसके कारण बिजली के रेट बढ़ रहे हैं। अगर इस पर अंकुश लगाया जाए तो बिजली के दाम घटकर 5 रुपए प्रति यूनिट तक लाए जा सकते हैं। बिजली निगमों में वर्कलोड के अनुसार 25 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार इन्हें भरकर बेरोजगारों को रोजगार व उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने की बजाय शोषण व भ्रष्टाचार पर आधारित निजीकरण की नीतियों को लागू कर रही है, जिससे उपभोक्ताओं की परेशानियां, भ्रष्टाचार व बिजली की दरें और बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि चालू लाईनों पर कार्य करते हुए 5 हजार से अधिक बिजली कर्मचारी मौत के मुंह में जा चुके हैं, जिसमें 138 ठेके पर लगे कर्मचारी भी शामिल हैं। सरकार ठेका कर्मचारियों को निकालकर नए कर्मचारी ठेके पर लगाना चाहती है, जिससे एक्सीडेंट होने की प्रबल संभावना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिजली कर्मचारी अपने वेतन भत्ते बढ़वाने की लड़ाई न लडक़े बिजली निगमों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए जनता के तमाम तबकों को इस लड़ाई में सहयोग करने के लिए आगे आना चाहिए। कमेटी के नेता सुनील खटाना ने सेमीनार में आए प्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हुए निजीकरण के खिलाफ लड़ाई संयुक्त लडऩे की अपील की।