फरीदाबाद। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर औद्योगिक नगरी फरीदाबाद पुलिस के दावे खोखले साबित होते दिखाई दे रहे है। शहर में पुलिस सुरक्षा की व्यवस्थाए चरमरा गई है। बेशक सार्वजनिक मंचो पर पुलिस के अधिकारी सुरक्षा को लेकर अपनी पीठ थपथपाते हुए दिखाई देते है परन्तु वास्तिवक स्थिती दावों के आंकलन से भिन्न ही साबित हुए है। अभी हालफिलहाल में जिस तरह ओल्ड फरीदबाद से दिन-दहाडे एक युवती का सामूहिक तौर पर अपहरण कर लिया गया वो पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्रचिन्ह लगा रहा है। जबकि इस मामले में पुलिस के पास अपहरण किए गए वाहन की पुख्ता जानकारी थी उसके बावजूद भी प्रशासन की लापरवाही का आलम यह रहा है कि अपराधी युवती को अपने वाहन पर पूरे शहर में लेकर कर चक्कर लगाते रहे पर पुलिस नाके और चौराहे पर किसी ने इस वाहन को रोकने की जेहमत नही उठाई। सामूहिक अपरहण और दुष्कर्म के इस मामले में पुलिस कंट्रोल रूम, नाका व्यवस्था और साइबर अपराध शाखा पुरी तरह से नाकाम साबित नजर आए। बताया गया है कि अपहरण होन के चंद मिनट के भीतर ही पुलिस को वारदात और उसकी लोकेशन मिल गई थी परन्तु उसके बाद भी लगभग चार घंटे तक पुलिस हवा में ही तीर मारती रही। एक बात और बताना चाहेगे कि जहां से युवती का अपहरण हुआ था वहा आमतौर पर पुलिस का नाका रहता है। अफसोस की बात है, इस घटनाक्रम के दौरान कोई भी पुलिसकर्मी वहा मौजूद नही था। वो तो शु्रक मनाईए कि युवती ने पुलिस को इस बाबत जानकारी दी कि अपराधी उसे सीकरी में छोड कर चले गए है तब जाकर पुलिस हरकत में आई और उसे अपने साथ ले कर चली गई। जानने की इसमें अहम बात यह भी है कि वैसे तो पुलिस की साइबर अपराध शखा मोबाइल नम्बर के आधार पर अपराधियों तक पहुचने का दावा करती है परन्तु युवती का मोबाइल उसे पास होने के बाद भी पुलिस से उसे कोई मदद नही मिली। काबिलेगौर यह है कि वारदात स्थल पर मौजूद शख्स ने पुलिस कंट्रोल रूम को यह ही नही बताया कि अपहरण सफेद रंग की स्कॉरपियो में हुआ है बल्कि यह भी बताया कि गाडी में एचआर-99 अंकित था। यह नम्बर नए वाहनों को रजिस्ट्रेशन नंबर आने तक वर्तमान के तौर पर दिया जाता है। इस बात से यह सिद्ध हो जाता है कि पुलिस के पास गाडी को लेकर सभी तरह जानकारी थी उसके बाद भी वाहन को किसी नाके पर रोका नही गया।