फरीदाबाद। जलवायु परिवर्तन व आपदा प्रबंधन जैसे विषयों के प्रति आमजन का जागरुक होना बेहद जरूरी हैए ताकि समय रहते इसके अच्छे.बुरे प्रभावों पर नियंत्रण किया जा सके। यह विचार माननीय न्यायधीश सर्वोच्च न्यायलय डा. अरीजीत पासयात ने मानव रचना शैक्षणिक संस्थान में उक्त विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभगियों को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि इस विषय पर अधिक से अधिक जन जागरुकता जहां एक ओर आमजन को विषयगत महत्वपूर्ण जानकारी देने में सहायक हैए वहीं दूसरी ओर आने वाली युवा पीढ़ी को भी इस विषय पर प्रेरित करने मे सहयोगी है। इसलिए जलवायु परिवर्तन व आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर समय.समय पर जन जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। इस विषय पर गुरुग्राम मंडल आयुक्त डी. सुरेश ने कहा कि इस विषय की जानकारी हमारा सामाजिक व नैतिक दायित्व है जिससे संबंधित ज्ञान हमारी विषय संबंधित संवेदनशीलता को दर्शाता है। अत: इस विषय पर संबंधित वर्गो को अपने दायित्वों का निवहन करना चाहिए। साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य डा. कमल किशोर ने उक्त विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज वैशिवक रुझानों के मद्देनजर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरूरत हैए क्योकि यह दोनों ही विषय एक दूसरे से जुड़े हुए हैंए जिनके प्राय: लगभग समान परिणाम देखने को मिलते हैंए इसलिए इन दोनों विषयों पर गहनता से चिंतन कर वैज्ञानिक शोधोंए तथ्यो व आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए जन जागरुकता अभियान चलाए जाने चाहिए। इसके अलावा सीएसएआर के अध्यक्ष एवं उक्त विषय के विशेषज्ञ डा. हरजीत सिंह आनंद ने संगोष्ठी में विषय के बारे में आधारभूत जानकारी दी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन व आपदा प्रबंधन के कारणोंए उसके प्रभावों और भविष्य की चुनौतियां से अवगत कराया। इस अवसर पर उनके द्वारा एक पावर पाइंट प्रैसनटेशन के माध्यम से उपस्थित जनों को प्रभावी रूप से जागरुक करने का प्रयास भी किया गया। संगोष्ठी में पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक देबाशीष रुस्थी ने जलवायु परिवर्तन व आपदा प्रबंधन के तकनीकी पहलुओं के बारे में बताय़ा। वहीं यूजीसी एमरिटस प्रोफेसर वी सुब्रमनियम ने जलवायु परिवर्तन व आपदा प्रबंधन पर प्रभाव डालने वाले तत्वों के बारे में बताय़ा।