फरीदाबाद,। आर.टी.आई. एक्टिविस्टस एंड सिटीजन वायस एसोसिएशन फरीदाबाद ने फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त डा. आदित्य दहिया को निगम से स्थानान्तरित करने के निर्णय को हरियाणा सरकार का अनुचित निर्णय बताया है। एसोसिएशन के संरक्षक पदमश्री डा. ब्रहमदत्त की अध्यक्षता में यहां हुई एक बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित कर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से फरीदाबाद शहर के हित में डा. आदित्य दहिया को पूर्णकालिक आयुक्त नियुक्त करने की जोरदार मांग की है। बैठक में अन्य के इलावा एसोसिएशन के प्रधान हरपाल सिंह यादव, महासचिव रविन्द्र चावला, उपप्रधान रिषी भारद्वाज, आर.टी.आई सैल प्रभारी अजय बहल, वित्त सचिव सत्यपाल, प्रैस सचिव राजन गुप्ता, कार्यालय सचिव आर्.पी.शर्मा, संयुक्त सचिव सुबोध नागपाल आदि उपस्थित थे। बैठक के बाद एसोसिएशन के महासचिव रविन्द्र चावला ने एसोसिएशन की ओर से जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया कि आदित्य दहिया ने पहले तो भ्रष्टाचार, कामचोरी व कुप्रबंधन की गर्त में पूरी तरह से डूब चुकी नगर निगम को अच्छी तरह समझा, फिर सिस्टेमेटिक तौर तरीके से काम करते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की शुरूआत की ही थी कि उनको स्थानान्तरित कर दिया गया। एसोसिएशन का कहना है कि एक ओर तो हरियाणा के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारमुक्त हरियाणा बनाने और सरकारी सिस्टम में पूर्ण पारदर्शिता लाने के दावे कर रहे हैं, वहीं भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाले अधिकारियों को स्वतंत्रतापर्वूक काम करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के उक्त निर्णय से न केवल राज्य सरकार की कथनी और करनी में फर्क स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है बल्कि इसके कारण ईमानदार अधिकारी व कर्मचारी हत्तोसाहित होंगे और भ्रष्टाचारी लोग जश्र मनायेंगे। एसोसिएशन का मानना है कि डा. आदित्य को निगम की जमीनी हकीकत का पता लग गया था और ऐसे में निगम की कार्यप्रणाली को जनहितैषी व भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की खातिर उन्हें कम से कम दो साल निगम में काम करने देना चाहिये था। रविन्द्र चावला के अनुसार डा. दहिया के स्थानान्तरण से नगर निगम के तबाह हो चुके सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए दहिया के कार्यकाल में उठाए एक अभूतपूर्व कदमों का भारी झटका लगेगा और जहां से सुधार प्रक्रिया दहिया ने शुरू की थी वापिस वहीं पर आ खड़ी होगी क्योंकि त्रिपुरा बैच की हरियाणा में निग्मायुक्त के तौर पर सर्वप्रथम नियुक्त हुई निग्मायुक्त सोनल गोयल को महाभ्रष्टाचार व घोटालों, भारी मिसमनैजमेंट से पूरी तरह ग्रस्त और विकराल आर्थिक बदहाली के शिकार नगर निगम को समझने में कम से कम छ: महीने का समय लग जायेगा जबकि नगर निगम के सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए एक बड़े आपरेशन की जरूरत है और जो आपरेशन करना शुरू हो चुका था।