फरीदाबाद।विश्व टी० बी० दिवस (24 मार्च ) के मौक़े पर सर्वोदय अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट डॉ० सुमित अग्रवाल एवं पल्मनोलॉजी की सीनियर कंसलटेंट डॉ० मनीषा मेहंदीरत्ता बता रहे है टी० बी० के कारण, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में :टी० बी० अथवा क्षय रोग माइक्रोबैटरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के संपर्क में आने से होता है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन द्धारा 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 96 लाख लोग टी० बी० की बीमारी से ग्रसित है और भारत में 22 लाख से अधिक लोग टी०बी० की बीमारी से पीड़ित है । टी० बी० होने के मुख्य कारण : टी० बी० रोग निचले स्तर में रहने, छोटे स्थान में ज्यादा लोगों के रहने, अच्छा पौष्टिक आहार न लेने व कम प्रतिरोधक क्षमता और एच० आई० वी० और मधुमेह जैसी बिमारियों के रहने के कारण हो सकता है। टी० बी० का रोग फैलाने वाला जीवाणु रोगी के थूक में होता है जब रोगी कही खाँसता/छींकता या थूकता है तो वह जीवाणु हवा में मिलकर स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँच कर उसे संक्रमित कर देता है ।
टी० बी० बीमारी के लक्षण : निम्नलिखित लक्षण यही रोगी में मिले तो वह टी० बी० से ग्रसित हो सकता है
1 ) 3 हफ्ते से ज्यादा खाँसी
2 ) खाँसी या बलगम में खून आना
3 ) कमजोरी, भूख ना लगना और अकारण वजन का कम होना
4 ) महीने भर से ज्यादा बुखार और प्रमुख रूप से शाम को बुखार आना
5 ) रीढ़ की हड्डियों में अगर टी० बी० हो तो पीठ और पैरों में कमजोरी महसूस होना
टी० बी० से बचने के उपाय :
1 ) टी० बी० से पीड़ित मरीजों को नियमित और पूरे समय तक दवाई लेनी चाहिए। दवा जल्दी छोड़ देने पर पूरा कोर्स शुरू से आरम्भ करना पड़ता है दूसरों को भी टी० बी० होने का खतरा बढ़ जाता है
2 ) टी० बी० से पीड़ित मरीज को यहां – वहां नही थूकना चाहिए और खांसते एवं छींकते समय मुहं पर रुमाल रखना चाहिए ।
3 ) अपने आसपास के परिसर को साफ़ सुथरा रखे और हवादार जगह में ही रहे ।
4 ) टी० बी० के लक्षण मिलते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे ।
टी० बी० के लिए उपलब्ध ईलाज :
टी० बी० का ईलाज उपलब्ध है परंतु इसके लिए रोगी को 6 से 9 महीने तक दवा लेनी पड़ती है । जिससे रोगी और उसके आसपास के लोगों को टी० बी० से बचाया जा सकता है । सरकारी केंद्रों पर भी सरकार द्धारा चलाए गए डॉट्स (DOTS ) कार्यक्रम के तहत पूरा ईलाज निःशुल्क उपलब्ध है । बच्चे को जन्म के तुरंत बाद बी० सी० जी० का टीका लगवाना टी० बी० से बचने का कारगर उपाय हो सकता है