फरीदाबाद । सतयुग दर्शन वसुंधरा के परिसर में बड़े ही धूमधाम से विश्व समभाव दिवस मनाया गया एवं इस शुभावसर पर चतुर्थ मानवता ई-आलमिपयाड का पुरस्कार वितरण भी किया गया। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु दूर-दराज से विभिन्न स्कूलों के लगभग १०० से अधिक प्रधानाचार्य, फरीदाबाद के माने हुए उद्योगपति व हजार से अधिक विद्यार्थी अपने परिवार सहित पधारे हुए थे। इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ आनॅर के रूप में फरीदाबाद व सिरसा के जिला शिक्षा अधिकारी यानि डी. ई. ओ. डा1टर वर्मा व श्रीमती सतीन्द्र कौर, एमस आई एस आफिसर एवं मोटिवेशनल स्पीकार श्री विवेक अत्रे, जाने माने उद्धोषक तथा दूरदर्शन के लोकप्रिय न्यूज रीडर शममी नारंग, सबसे तेज पियानो वादक अमन बाटला आदि भी पधारे हुए थे।कार्यक्रम के आरमभ में ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने सबका हार्दिक अभिनंदन किया और कहा कि हर मानव के लिए अपने यथार्थ स्वरूप में सदा एकरस बने रह, मानवता के सिद्धान्त पर सुदृढ़ बने रहने हेतु, समभाव-समदृष्टि का सबक़ पढऩा व उसका व्यवहारिक रूप गहनता से समझना आवश्यक है। अत: समभाव-समदृष्टि के सबक़ अनुसार, समभाव नजरों में कर, समदर्शिता अनुरूप परस्पर सजनता का यानि मैत्रीपूर्ण व्यवहार करो। इस हेतु अपना जीवन अपने आराध्य यानि इस जगत के पालनकत्र्ता के प्रति पूरी तरह अर्पित कर दो और निष्कामता से उनकी चरण-शरण में रह उनके गुण, ज्ञान व शक्ति को ग्रहण कर, इस जगत की पालना हेतु अपना वांछित सहयोग प्रदान करो।उन्होने कहा कि याद रखो समभाव ही एकमात्र ऐसा सशक्त भाव है जो हर मानव के ह्मदय में मानव धर्म को उजागर करता है। यह ही अपने आप में मानवता के समस्त गुणों से समपूर्ण है तथा मानव के यथार्थ धर्म का परिचायक है। इस धर्म पर स्थिर बने रहने वाले समभावी के ह्मदय में ही सदा सत्य प्रकट रहता है और उसके अन्दर परिपूर्णता का एहसास रहता है व आत्मतुष्टि बनी रहती है। इस तथ्य के दृष्टिगत हमारे लिए बनता है कि हम एकता व सारे सुख का आधार धर्म को ही मानकर कभी भी किसी भी अवस्था व किसी भी परिस्थिति में धर्म मत हारे अपितु धर्म के ऊपर अपना तन मन धन सब वार दे। जानो ऐसा करने पर ही हम सबकी शान है।इस संदर्भ में आगे उन्होने कहा कि समय के आवाहन को समझो। वह कह रहा है कि कलियुग जा रहा है और सतयुग आ रहा है। अत: अविलमब जाग्रति में आ व सब अन्य मनगढंत भाव-स्वभाव छोड़, समभाव अपना सत वादी बन जाओ। इस हेतु असत्य को छोड़ सत्य को धार लो यानि सच बोलचाल, खान-पीन व सच का ही सौदा करो यानि सच ज़बान, सच ह्मदय व दोनों नयनों से सच्चाई विशाल झलकें। तभी ह्मदय सचखंड हो पाएगा और आप एक निगाह एक दृष्टि हो, समभाव से सर्वव्याप्त भगवान का दर्शन कर समदृष्टि हो जाओगे और अपने जीवन को अखंड यश-कीर्ति की प्राप्ति का भागी बना पाओगे।कार्यक्रम के अंत में सजन जी ने की हर माता-पिता व समाज के समस्त कर्णधारों से की अपील कि वे बाल्यावस्था से ही हर प्राणी को इंसानियत में ढ़ालने के प्रति अपने मु2य कत्र्तव्य को दृष्टिगत रखते हुए, लालन-पालन के दौरान उनकी अन्दरूनी व बैहरूनी वृत्तियों को सतोगुणी प्रधान बनाना सुनिश्चित करें ताकि उनका संकल्प सदा स्वच्छ अवस्था को प्राप्त रहे और वे सतवस्तु की आचार-संहिता के अनुकूल भाव-स्वभाव अपनाने हेतु समभाव-समदृष्टि के सबक़ को अमल में लाने में प्रवीन बन सकें और अपने वास्तविक धर्म पर स्थिर रह, सत्य को प्रतिष्ठित करते हुए, सतयुग में प्रवेश कर सकें। अंत में चतुर्थ मानवता ई-आलमिपयाड के टॉप हजार विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। यह पुरस्कार स्कूली बच्चों के स्तर पर, कॉलेज के बच्चों के स्तर पर, व्यक्तिगत स्तर पर व ओवरआल स्कूल ट्राफी के स्तर पर घोषित किए गए। इसके अतिरिक्त एक लक्की ड्रा भी निकाला गया। स्कूली स्तर पर सिरसा के जशन ग्रोवर ने व कालेज स्तर पर रिवाडी की रानी गुप्ता ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। व्यक्तिगत स्तर पर कुरुक्षेत्र के अविनाश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। ओवर आल स्कूल ट्राफी फरीदाबाद का माडर्न बी0 पी0 प4िलक स्कूल ले कर गया। लक्की ड्रा के अंतर्गत हिसार की वंदनी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को पुरस्कार के रूप में लैपटाप, टेबलेट, स्मार्टफोन, टी0वी0, ई-गेजेटस व अन्य आकर्षक इनाम इत्यादि दिए गए और सबको मानवता धर्म पर स्थिर रहने के प्रति आवाहन दिया गया। अंतत: सजनों हम इस न्यूज को पढऩे वाले सभी सजनों से भी प्रार्थना करते हैं कि कलुकाल के भाव-स्वभाव छोड़ सतयुगी चलन अपनाओ और सच्चरित्र इंसान बन अपना जीवन सुखी बनाओ। सब ऐसे बनो हाँ ऐसे बनो और ऐसे बन कर ही सब सतयुग में प्रवेश करो।