सूरजकुण्ड । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के समीप हरियाणा में फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला में इस बार अफगानी कालीन भी खूब पसंद किये जा रहे हैं। अफगानिस्तान की महिलाओं और मेहनतकश लोगों ने मेले में हाथ से तैयार किए गए कालीनों को दर्शाया है। इस बार यहां के लोगों की पसंद अनुसार नायाब कारीगरों द्वारा कालीनों की कारीगरी को प्रस्तुत किया गया है । सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में अफगानी कालीनों की खूब चर्चा है। मेला के मुख्य चौपाल मंच के पीछे लगे स्टाल के संचालक तैमूर का कहना है कि वे इस मेले में पिछले सात सालों से लगातार आ रहे हैं और इस बार उन्होंने लोगों की पंसद के अनुसार कालीनों की रेंज मेला में उतारी है। उनका कहना है कि इस बार उन्होंने 10 हजार रुपए से लेकर इससे उंचे दामों की कालीनों को मेला में प्रस्तुत किया है। चंडीगढ से सूरजकुंड मेला देखने आए दिनेष ने बताया कि वे पहली बार इस मेेले में आए हैं। उन्होंने यहां पर खूब मौज-मस्ती की और मेला का मजा लिया। उन्हें यहां पर अफगानिस्तान के स्टाल पर लगी कालीनें भी खूबी पसंद आई। तैमूर आगे बताते हैं कि कालीन जितना पुराना होता है उतना ही मंहगा होता है और यह पूर्ण रूप से हाथ से तैयार किया जाता है। इसमें प्राकृतिक रंगों को इस्तेमाल किया जाता है और अफगानी महिलाएं इन कालीनों को बनाने में व तैयार करने में अपनी अहम भूमिका अदा करती है। उनका कहना है कि चालीस दिन कम से कम का समय लगता है और अधिक से अधिक 10 महीने का समय इन कालीनों को तैयार करने में लगता है। उनका कहना है कि इन कालाीनों को भेड और ऊंट की ऊन का प्रयोग करके तैयार किया जाता है।