फरीदाबाद /-सतयुग दर्शन ट्रस्ट (पंजीकृत) के अंतर्गत समभाव एवं समदृष्टि के स्कूल,ध्यान-कक्ष में आज विश्व समभाव दिवस का भव्य एवं प्रेरक
योजन संपन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर मानवता विषय पर सम्बंधित प्रतियोगिता” के विजेताओं को सम्मानित कर उनके उत्कृष्ट प्रयासों को
नमन किया गया। समारोह में उन प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया जिन्होंने 7वें अंतर्राष्ट्रीय मानवता ओलंपियाड (IHO), आध्यात्मिक वाक्पटुता तथा आध्यात्मिक प्रतिध्वनि कार्यक्रमों में अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए मानवीय मूल्यों का संवर्धन किया।
इस कार्यक्रम का प्रारम्भ सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन जी , रेशमा गाँधी जी (मैनेजिंग ट्रस्टी),
अनुपमा तलवार जी (चेयरपर्सन), डा मनीष अवस्थी , श्री अशोक बधेल जिला शिक्षा अधिकारी
फरीदाबाद, कमलेश शास्त्री जी मंडल बाल कल्याण अधिकारी, लायन आर पी हंस, अजय सोमवंशी जी
आदि गणमान्य अतिथियों ने सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दीप प्रज्ज्वलन करके की।
इस अवसर पर सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दिल्ली एन.सी.आर के जाने माने स्कूलों/कालेजों के
प्रधानाचार्य/अध्यापकगण व अंतर्राष्ट्रीय मानवता-ई-ओलम्पियाड के विजेताओं के अतिरिक्त विशिष्ट
अतिथियों में सम्मिलित थे: सुश्री सुदेश कुमारी – जिला शिक्षा अधिकारी, करनाल, श्री अशोक कुमार –
जिला शिक्षा अधिकारी, फरीदाबाद, डॉ. मनीष अवस्थी – सलाहकार, इंटरग्लोब एविएशन, तथा प्रमुख
समाचार चैनलों के पूर्व टीवी एंकर, मिस्टर हर्ष गिल इंटरनॅशनल बॉक्सर, सुश्री सलोनी कौल – अध्यक्ष,
फरीदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन इत्यादि l
सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने दर्शकों को अपने वक्तव्य में बताया कि समभाव ख्याल और ध्यान को विश्वात्मा से जोड़ता है। विश्वात्मा आत्मतत्त्व का आधार परमात्मा है।
ख्याल क्या है? ख्याल विश्वात्मा का प्रतिबिम्ब है। इसलिए कहते हैं कि आत्मा में परमात्मा है। जब तक
हमारा ख्याल और ध्यान आत्मस्थित नहीं होता, प्रकाश में नहीं होता तो हम अपने यथार्थ स्वरूप का दर्शन
नहीं कर सकते। अपनी यथार्थता को जान नहीं सकते और इस सत्य को स्वीकार नहीं कर सकते कि
ईश्वर सर्वशक्तिमान है, सर्वव्याप्क है, सर्वज्ञ है। जो इस सत्य को जान लेता है, वह जगत में ब्रह्ममय होकर
विचरता है – यानि समदृष्टि हो जाता है। जैसे ही वह समदृष्टि होता है तो उसको दिव्य वृष्टि का सबक मिलता
है। दिव्य दृष्टि अर्थात वह अपने दिव्य गुणों से परिचित हो जाता है और दिव्यता का प्रतीक बन
त्रिकालदर्शी हो जाता है और विचार ईश्वर है अपना आप पर खड़ा हो जाता है और ईश्वर की खोज खतम
हो जाती है क्योंकि उसे सृष्टि के सत्य की समझ आ जाती है। जो इस स्थिति में पहुंच जाता है वह स्वयं में
आत्मज्ञानी बन जाता है और फिर आत्मसत्ता को ग्रहण करता है। शब्द गुरु के द्वारा ख्याल, आत्मसत्ता जो
ब्रह्मसत्ता होती है को ग्रहण करता है। शब्द गुरु का विधान सुरत अर्थात ख्याल या प्रतिबिम्ब और शब्द। वो
शब्द गुरु ॐ अमर आत्मा आत्मज्ञान का आधार है तो आत्मज्ञान प्राप्त हो जाता है और वह आत्मस्मृति में
हो जाता है। आत्मस्मृति में रहकर वह जगत में विचरता भी है और नहीं भी विचरता अर्थात वह अकर्ता
भाव से विचरता है और कर्मफल से मुक्त रहता है और एक निष्काम सेवक होता है। एक निष्काम सेवक
वास्तविक रूप से धर्मज्ञ होता है l
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा मानवता से सम्बंधित नृत्य नाटिका की सुन्दर प्रस्तुति भी पेश की गई
जिसकी दर्शकों ने ना केवल सराहना की बल्कि तालियों की गड़गड़ाहट से सभाभवन गूंज उठा
पुरस्कार वितरण: समारोह में 3.5 लाख से अधिक के नकद पुरस्कार वितरित किए गए। देशभर से 100
से अधिक प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख विजेता इस
प्रकार हैं:
-पुष्प (सीनियर विद्यालय): संप्रिटी डेका (असम), पायल करगेती (चंडीगढ़), विहान रत्नजोग (दिल्ली), प्रिया
धानिया (हरियाणा), वैभवी शर्मा (हिमाचल प्रदेश), पूर्वी डोडा (पंजाब), जानवी प्रसाद (उत्तर प्रदेश), वंश
अग्रवाल (उत्तराखंड)
-अंकुर (जूनियर विद्यालय): परिणीता सिन्हा (असम), अक्षत चंदेल (चंडीगढ़), श्रीश शर्मा (दिल्ली), एच.
दहिया (हरियाणा), देवांश वशिष्ठ (हिमाचल प्रदेश), कार्तिक वर्मा (पंजाब), अक्षज सक्सेना (उत्तर प्रदेश),
सक्षम कोटनाला (उत्तराखंड)
-रुवर (कॉलेज): रेखा दहिया (पं. नेकी राम शर्मा गवर्नमेंट कॉलेज, रोहतक)
-द्रखट (व्यक्तिगत): अंजलि अग्रवाल (इटावा, उत्तर प्रदेश)
आध्यात्मिक वाक्पटुता एवं आध्यात्मिक प्रतिध्वनि: येदांत भाकू (पंजाब), कुणाल (हरियाणा), फातिमा
(गुजरात), तारा हंशिता (विशाखापत्तनम), अर्निमा (उत्तराखंड), जसविंदर (हिमाचल प्रदेश)
सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी विद्यालय: एसबीवी चांद नगर (दिल्ली), एस.डी. मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल
(करनाल), ईस्टवुड इंटरनेशनल स्कूल (पंजाब)
प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों को भी उनकी भूमिका के लिए बधाई दी गई और यह रेखांकित किया गया कि
शिक्षण संस्थान समर्पित, जागरूक एवं गुणनिष्ठ विद्यार्थियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अंत में, पुरस्कारों से ध्यान हटाकर “समभाव और समदृष्टि” के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर बल दिया गया।
ध्यान-कक्ष इस बात का प्रमाण है कि कैसे सद्गुणों का अभ्यास व्यक्तिगत विकास का पथ प्रशस्त कर
सता है और समाज में सहानुभूति, सहयोग तथा संतुलित जीवन की भावना का संचार कर सकता है। डा
मनीष अवस्थी ने अपने उद्बोधन में कहा –“यह आयोजन एक ऐसे आंदोलन का आरंभ है जहाँ हम
आज विश्व समभाव दिवस का भव्य एवं प्रेरक आयोजन संपन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर
“मानवता विषय पर सम्बंधित प्रतियोगिता” के विजेताओं को नमन कर उनके उत्कृष्ट प्रयासों को
नमन किया गया। समारोह में उन प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया जिन्होंने 7वें अंतर्राष्ट्रीय मानवता
ओलंपियाड (IHO), आध्यात्मिक वाक्पटुता तथा आध्यात्मिक प्रतिध्वनि कार्यक्रमों में अद्वितीय प्रदर्शन
करते हुए मानवीय मूल्यों का संवर्धन किया।
इस कार्यक्रम का प्रारम्भ सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन जी , रेशमा गाँधी जी (मैनेजिंग ट्रस्टी),
अनुपमा तलवार जी (चेयरपर्सन), डा मनीष अवस्थी , श्री अशोक बधेल जिला शिक्षा अधिकारी
फरीदाबाद, कमलेश शास्त्री जी मंडल बाल कल्याण अधिकारी, लायन आर पी हंस, अजय सोमवंशी जी
आदि गणमान्य अतिथियों ने सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दीप प्रज्ज्वलन करके की।
इस अवसर पर सतयुग दर्शन के विशाल सभागार में दिल्ली एन.सी.आर के जाने माने स्कूलों/कालेजों के
प्रधानाचार्य/अध्यापकगण व अंतर्राष्ट्रीय मानवता-ई-ओलम्पियाड के विजेताओं के अतिरिक्त विशिष्ट
अतिथियों में सम्मिलित थे: सुश्री सुदेश कुमारी – जिला शिक्षा अधिकारी, करनाल, श्री अशोक कुमार –
जिला शिक्षा अधिकारी, फरीदाबाद, डॉ. मनीष अवस्थी – सलाहकार, इंटरग्लोब एविएशन, तथा प्रमुख
समाचार चैनलों के पूर्व टीवी एंकर, मिस्टर हर्ष गिल इंटरनॅशनल बॉक्सर, सुश्री सलोनी कौल – अध्यक्ष,
फरीदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन इत्यादि l
सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने दर्शकों को अपने वक्तव्य में बताया कि समभाव ख्याल
और ध्यान को विश्वात्मा से जोड़ता है। विश्वात्मा आत्मतत्त्व का आधार परमात्मा है।
ख्याल क्या है? ख्याल विश्वात्मा का प्रतिबिम्ब है। इसलिए कहते हैं कि आत्मा में परमात्मा है। जब तक
हमारा ख्याल और ध्यान आत्मस्थित नहीं होता, प्रकाश में नहीं होता तो हम अपने यथार्थ स्वरूप का दर्शन
नहीं कर सकते। अपनी यथार्थता को जान नहीं सकते और इस सत्य को स्वीकार नहीं कर सकते कि
ईश्वर सर्वशक्तिमान है, सर्वव्याप्क है, सर्वज्ञ है। जो इस सत्य को जान लेता है, वह जगत में ब्रह्ममय होकर
विचरता है – यानि समदृष्टि हो जाता है। जैसे ही वह समदृष्टि होता है तो उसको दिव्य वृष्टि का सबक मिलता
है। दिव्य दृष्टि अर्थात वह अपने दिव्य गुणों से परिचित हो जाता है और दिव्यता का प्रतीक बन
त्रिकालदर्शी हो जाता है और विचार ईश्वर है अपना आप पर खड़ा हो जाता है और ईश्वर की खोज खतम
हो जाती है क्योंकि उसे सृष्टि के सत्य की समझ आ जाती है। जो इस स्थिति में पहुंच जाता है वह स्वयं में
आत्मज्ञानी बन जाता है और फिर आत्मसत्ता को ग्रहण करता है। शब्द गुरु के द्वारा ख्याल, आत्मसत्ता जो
ब्रह्मसत्ता होती है को ग्रहण करता है। शब्द गुरु का विधान सुरत अर्थात ख्याल या प्रतिबिम्ब और शब्द। वो
शब्द गुरु ॐ अमर आत्मा आत्मज्ञान का आधार है तो आत्मज्ञान प्राप्त हो जाता है और वह आत्मस्मृति में
हो जाता है। आत्मस्मृति में रहकर वह जगत में विचरता भी है और नहीं भी विचरता अर्थात वह अकर्ता
भाव से विचरता है और कर्मफल से मुक्त रहता है और एक निष्काम सेवक होता है। एक निष्काम सेवक
वास्तविक रूप से धर्मज्ञ होता है l
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा मानवता से सम्बंधित नृत्य नाटिका की सुन्दर प्रस्तुति भी पेश की गई
जिसकी दर्शकों ने ना केवल सराहना की बल्कि तालियों की गड़गड़ाहट से सभाभवन गूंज उठा
पुरस्कार वितरण: समारोह में 3.5 लाख से अधिक के नकद पुरस्कार वितरित किए गए। देशभर से 100
से अधिक प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख विजेता इस
प्रकार हैं:
-पुष्प (सीनियर विद्यालय): संप्रिटी डेका (असम), पायल करगेती (चंडीगढ़), विहान रत्नजोग (दिल्ली), प्रिया
धानिया (हरियाणा), वैभवी शर्मा (हिमाचल प्रदेश), पूर्वी डोडा (पंजाब), जानवी प्रसाद (उत्तर प्रदेश), वंश
अग्रवाल (उत्तराखंड)
-अंकुर (जूनियर विद्यालय): परिणीता सिन्हा (असम), अक्षत चंदेल (चंडीगढ़), श्रीश शर्मा (दिल्ली), एच.
दहिया (हरियाणा), देवांश वशिष्ठ (हिमाचल प्रदेश), कार्तिक वर्मा (पंजाब), अक्षज सक्सेना (उत्तर प्रदेश),
सक्षम कोटनाला (उत्तराखंड)
-तरुवर (कॉलेज): रेखा दहिया (पं. नेकी राम शर्मा गवर्नमेंट कॉलेज, रोहतक)
-द्रखट (व्यक्तिगत): अंजलि अग्रवाल (इटावा, उत्तर प्रदेश)
आध्यात्मिक वाक्पटुता एवं आध्यात्मिक प्रतिध्वनि: येदांत भाकू (पंजाब), कुणाल (हरियाणा), फातिमा
(गुजरात), तारा हंशिता (विशाखापत्तनम), अर्निमा (उत्तराखंड), जसविंदर (हिमाचल प्रदेश)
सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी विद्यालय: एसबीवी चांद नगर (दिल्ली), एस.डी. मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल
(करनाल), ईस्टवुड इंटरनेशनल स्कूल (पंजाब)
प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों को भी उनकी भूमिका के लिए बधाई दी गई और यह रेखांकित किया गया कि
शिक्षण संस्थान समर्पित, जागरूक एवं गुणनिष्ठ विद्यार्थियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अंत में, पुरस्कारों से ध्यान हटाकर “समभाव और समदृष्टि” के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर बल दिया गया।
ध्यान-कक्ष इस बात का प्रमाण है कि कैसे सद्गुणों का अभ्यास व्यक्तिगत विकास का पथ प्रशस्त कर
सकता है और समाज में सहानुभूति, सहयोग तथा संतुलित जीवन की भावना का संचार कर सकता है। डा
मनीष अवस्थी ने अपने उद्बोधन में कहा –“यह आयोजन एक ऐसे आंदोलन का आरंभ है जहाँ हम






