Faridabad/…. विकासशील देशों में प्रतिवर्ष 1 लाख से ज्यादा लोग किडऩी फेल्योर के कारण जान गंवा देते हैंए जबकि उचित इलाज से लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं और उन्हें नॉर्मल रखा जा सकता है। किडऩी मरीजों की जिंदगी में रंग भरने के उद्देश्य से एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल में विश्व किडऩी दिवस के मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें देश.विदेश के किडऩी रोगियों ने भी बढ़.चढक़र भाग लिया। इस मौके पर एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉण् एनके पांडेए श्रीमति पद्मा पांडेए अनुपम पांडेए नेहा पांडेए डॉण् प्रशांत पांडेए डॉण् स्मृति पांडेए डॉण् जितेंद्र कुमारए डॉण् बीके उपाध्याय व अस्पताल के अन्य सदस्य मौजूद रहे। कार्यक्रम में बंागलादेशए अफगानिस्तानए किर्गिस्तानए उजबेकिस्तान और नेपाल के एबेंस्डर बतौर अतिथि उपस्थित रहे।इस मौके पर किडऩी रोगियों ने बीमारी के दौर के अपने और अपने परिवार के साहस की गाथा भी सांझा की। उन्होंने बताया कि अगर आप बीमारी से हार मानने की बजाय उसका डटकर सामना करेंगे तो बीमारी आप पर नहीं बल्कि आप बीमारी पर हावी हो जाएंगे। पद्मश्री डॉण् एनके पांडे ने कहा कि हम कितना भी आगे क्यूं न बढ़ गए होंए लेकिन आज भी धर्मए मान्यताए परिवार और समाज के दबाव के कारण अंगदान करने के लिए लोग आगे नहीं आते हैं। जबकि अंगदान करके हम अंगदान से हम न केवल एक बल्कि कई जरूरतमंदों की जान बचा सके। आए दिन कोई न कोई दुर्घटना का शिकार होता हैए लेकिन समय पर ब्लड या शरीर का हिस्सा जरूरतमंद को न मिल पाने के कारण या तो अपाहिज हो जाता है या फिर मौत के मुंह में समा जाता है। किडऩी रोगियों को भी समय पर किडऩी न मिलने की समस्या आती है। इस मौके पर एशियन अस्पताल गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉण् जितेंद्र कुमार ने बताया कि किडऩी शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और किडऩी फेल्योर की समस्याओं में निरंतर इज़ाफा हो रहा है। गुर्दा रोग को कम करनेए इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने और गुर्दे की समस्याओं के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए विश्व भर में किडऩी दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर उन्होंने लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ बीण्के उपाध्याय ने लोगों को किडऩी रोग से लडऩे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि सही खानपानए नियमित दिनचर्या और डॉक्टरी जांच के द्वारा ही किडऩी रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि किडऩी रोग से डरने की नहीं बल्कि उसे लडऩे की जरूरत है। मरीज डायलासिस कराते हुए और किडऩी ट्रांसप्लांट के बाद भी एक आम व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है। नेफ्रालोजिस्ट डॉण्बी के उपाध्याय का कहना है कि किडऩी रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इस पर नियंत्रण रखने के लिए मरीजों का फॉलोअप होना बेहद जरूरी होता है। इस कार्यक्रम के दौरान किडनी रोग से पीडि़त रोगियों और किडऩी ट्रांसप्लांट करा चुके लोगों ने भी लघु नाटिकाएडांस आदि के माध्यम से ये बताया कि किस प्रकार खुश रहकर किसी भी प्रकार की बीमारी को मात दी जा सकती है। किडऩी रोगियों और कार्यशाला के सदस्यों ने फैशन शो भी किया। इसके अलावा ये भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे।