फरीदाबाद /-सैक्टर 21 डी स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा के तत्वाधान में शिव जयंती के महापर्व के अवसर पर प्रेस-मीडिया कर्मियों के लिए उनके कार्य-क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और उनके दायित्व को निष्ठा व ईमानदारी से आध्यात्मिक व आत्मीय बल के सहारे कैसे सहज व रुचिकर बनाया जा सकता है? विषय पर एक संगोष्ठि का आयोजन किया गया। इस मौके पर जहां एक ओर देश के वरिष्ठ व विख्यात टी.वी. जर्नलिस्ट एन.के.सिंह बतौर मुख्य अतिथि मंच पर उपस्थित थे वहीं उक्त विषय पर आधार व्याख्यान के लिए विशेषतौर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू से आए पीस ऑफ माइंड चैनल के न्यूज़ हैड बी.के. कोमल ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। उन्होंने बताया कि पत्रकार को प्रत्येक संभव प्रयास से अपने मानसिक संतुलन का बनाय रखना है। क्योंकि उसका मानसिक संतुलन ही उसकी वास्तविक संपदा है। अगर किन्हीं कारणों से विपरीत परिस्थितियों के प्रभाव में आकर अगर पत्रकार अपना मानसिक संतुलन खो बैठे तो उसे व्यवाहारिक और व्यवसायिक दोनो प्रकार के नुकासान हो सकते हैं। वहीं प्ररेणादायक वक्ता के रूप में संस्था के दिल्ली ज़ोन के राष्ट्रीय मीडिया-समन्वयक बी.के. सुशांत ने पत्रकारों को उनक ी व्यसायिक चुनौतियों पर आध्यात्मिकता के माध्यम से कैसे काबू पाया जा सकता है? जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, हमें प्रत्येक कठिन परिस्थिति में अपने तटस्थ रहने का भरसक प्रयास करना है। अपने माइंड को काबू में रखने के लिए हमें मेडिटेशन का अभ्यास निरंतर करते रहना चाहिए। आध्यात्मिक ज्ञान के सूत्रों को जीवन में उतराना प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। इस अभ्यास से निश्चित ही नाकारात्मक वैचारिकता क्षीण होती है और जैसे-जैसे नाकारात्मकता क्षीण होती चली जाती है वैसे-वैसे साकारत्मक सोच का सृजन होता चला जाता है। कहना उचित होगा कि मनुष्य की साकारात्मक सोच ही जीवम में विकास व समृद्ध का मार्ग प्रशस्त करती है। जिसके लिए परमपिता परमात्मा शिव ही हमें श्रेष्ठ-मत देते हैं। ऐसे में हमें याद रखना होगा कि एक परमपिता परमात्मा ही जो तुच्छ से श्रेष्ठ बनने के उपाय बुद्धि के माध्य से बताता है फिर चाहे पत्रकार हो या कोई अन्य। बेश$क पत्रकारों को अपनी $कलम को पैना बनाए व सच्चा बनाय रखने के लिए अपनी भीतर तेजस्वी विचारों को जन्म देना होगा जिसके लिए केवल मात्र एक मार्ग है और वह है आध्यात्म बल। उन्होंने अपने वक्तव्य में कई बार महात्मा बुद्ध व अन्य विद्ववानों को कोट किया। जबकि मुख्य अतिथि व वरिष्ठ-विख्यात टी.वी. पत्रकार एन.के. सिहं ने कहा आज की कठिनतम परिस्थितियों में पत्रकार को अपने शरीरिक व मानसिक प्रत्येक क्षमता को हर हाल में बढ़ाने की आवश्यकता है। यह सच है कि आज चुनौतियों कुछ ज्यादा मुश्किल हैं। और हवा भी बहुत ज़हरीली चल रही है। लेकिन इसका हरगिज़ यह मतलब नहीं कि पत्रकार को घुटने टेक देने चाहिय। उसे अपने व्यवसायिक कौशल को उभारना ही होगा। और प्रेस-टी.वी. डॉयनस् को आपकी कौशलता को परखने के लिए मजबूर करना होगा। बाकी वक्त कभी एक सा नहीं रहा। इससे भी ज्यादा ज़हरली हवा महात्मा गांधी के समय में भी चली। इस अवसर पर कार्यक्रम में मौजूद सभी पत्रकारों एंव अन्यों को बी.के. दीदी हरीश ने अपने आर्शीवचनों से संबोधित किया और बी.के. सुनीता दीदी ने मेडिटेशन का अभ्यास करवाया और बी.के. दीदी प्रीति ने स्वागत संबोधन किया।