निगम चुनाव की हार का पडेगा विधानसभा चुनाव में असर
फरीदाबाद। वार्ड-30 से कांग्रेसी नेता लखन सिंगला एंव उनके भतीजे रोहित सिंगला की हार ने भाजपा को सशक्त बना दिया हैं। भाजपा उम्मीदवार की जीत ने चाचा लखन सिंगला के विधानसभा चुनाव में जीत पर काफी हद तक अंकुश लगा दी है। उनकी हार से जहां केबिनट मंत्री विपुल गोयल को वैश्य समाज के सबसे बडे नेता उभर कर आए है वही इस सीट पर काफी समय से चाचा-भतीजे को वर्चस्व भी खत्म कर दिया हैं। चाचा-भतीजे का तिलस्म तोडकर भाजपा प्रत्याशी सुभाष आहुजा ने काफी बढत से उन्हे धूल चटा दी। हांलाकि इस बार वर्चस्व की जंग में इस जोडी ने काफी जद्दोजहद की परन्तु उनका विराधी खेमा ज्यादा मजबूत हो गया। उनके सभी प्रतिद्ववद्वि एक हो गए और इस सीट को उनकी सामरिक ताकत से जोड कर देखा जाने लगा। अगर देखा जाए तो हार का अंतर बेशक हजार में था परन्तु जोडी की जीत को हरा पाना शायद उतना आसान नही था,जितना सोचा जा रहा था। इस वार्ड की सीट पर विजय के लिए केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के साथ केबिनट मंत्री विपुल गोयल और बीजेपी के अन्य नेताओं ने अपना सर्वस्य लगा दिया था क्योकि यह सीट उनकी प्रतिष्ठा से जुड चुकी थी और किसी भी कीमत पर उन्हे यहा से जीत सुनिश्चित करनी थी। इसकी एक वजह यह भी है कि शहरी विधानसभा का यह वार्ड केन्द्र ङ्क्षबदु है यही से किसी भी विधानसभा के प्रत्याशी का भविष्य निर्धारित होता है। ऐसे में भाजपा की जीत ने केबिनट मंत्री विपुल गोयल की राह आसान कर दी है वही कांग्रेसी नेता लखन सिंगला के लिए मुश्किल का दौर होगा। इस जीत ने मंत्री विपुल गोयल को वैश्य समाज का सबसे बडा नेता बना दिया है और इसका फायदा सीधे तौर पर उन्हे आगामी विधानसभा में आसानी से मिलेगा। अगर कहा जाए कि चाचा-भतीजे की हार का चाचा लखन सिंगला के विधानसभा चुनाव पर असर होगा तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी।