फ़रीदाबाद (विशेष रिपोर्ट /राजनीतिक समीक्षा) .. .बदलाव रैली के माध्यम से जिस तरहा मनमोहन भडना अपनी ताकत कांग्रेस पार्टी के आलकमान को दिखाना चाहते हैं वो ये बात तय करेगा कि क्या वह अगामी चुनाव मे टिकिट लेने मे कामयाब हो पाते हैं कि नहीं.. …मामला बेशक राजनीति से जुड़ा हुआ है पर सच्चाई यही है कि मनमोहन भडना जिस तरह से परासूट से उतर कर राजनीति में आकर अगामी चुनाव मे अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं वो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है… अगर किसी कारणवश उन्हे टिकिट मिल भी जाता है तो पार्टी को उन कायकर्ताओ की नाराज़गी झेलनी पड़ सकती है जो पार्टी को अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं.. जिसका खामियाजा पार्टी को चुनाव मे भुगतना पड़ सकता है.. अगर वास्तविक तोर पर देखा जाया तो बदलाव रैली को लेकर शहर की जनता मे भी कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है..इतना ही नहीं पार्टी के दिग्गज नेताओ के एलावा सामान्य कायकर्ताओ ने भी दूरीया बना रखी है… बेशक मनमोहन भडना राजनीतिक पृषटभूमि से ताल्लुकात रखते हैं पर उनके परिवार का जनता के बीच मे वो दबदबा नहीं रह गया है जो कभी हुआ करता था. यह बात भी उनके राजनीतिक कैरियर पर विशेष प्रभाव छोड़ेगा.. यही नहीं परिवार के एक अन्य सद्श्य जो कि रिसते मे इनके चाचा लगते हैं और कई बार इस इलाके से सांसद रहे हैं वो हालफ़िलहाल मे बीजेपी छोड़ कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के नेत्रत्व मे कांग्रेस पार्टी मे शामिल हो चुके हैं और इसे इलाके से चुनाव लड़ने की हसरत रखते हैं. ऐसे में उनका अनुभव मनमोहन पर भारी दिखाई पड़ता है.. एक बात और गोर करने वाली है कि अभी जिस तरहा से देश की रक्षा करने वाले फोजीओ पर हमले का पलटवार मोदी सरकार द्वारा दिया गया है ये प्रकरण भी जनता के बीच मे बीजेपी के उम्मीदवार को मज़बूत बना रहा है.. इस तरहा के प्रकरण के बाद कांग्रेस पार्टी किसी भी तरहा का कोई रिस्क मोल नहीं लेना चाहिएगी. पार्टी आलकमान की प्राथमिकता किसी अनुभवशील इन्सान के साथ होगी जो इस इलाके में पार्टी की बेतरणी पार लगा दे.. जो भी हो ये निकट भविष्य तय करेगा कि मनमोहन भडना का राजनीतिक भविष्य किस और करवट बदलेगा.