केदीय मंत्री और पूर्व केबिनट मंत्री आमने सामने
जमीन विवाद को लेकर मतभेद
हरियाणा/फरीदाबाद। कुछ समय से शहर में सर्वाधिक चर्चा में रहे केद्रीय मंत्री और पूर्व केबिनट मंत्री हरियाणा का विवाद अपनी चरम पर हैं। हांलाकि दोनों पक्ष अपनी बात मीडिया के सम्मुख रख चुका है,जहां दोनों अपनी बात पर अडिग हैं कि उन्हे शहर में बदनाम किया जा रहा हैं। किसी समय चुनावी दंगल में एक ही विधानसभा से चुनाव लड चुके केद्रीय मंत्री और केबिनट मंत्री एक बार फिर आमने-सामने आ चुके हैं। सिटी में चर्चित इस हाई प्रोफाइल मामलें के दायरे में मंत्री पुत्र भी आ गए हैं। इस बार मुददा चुनाव का नही बल्कि जमीन के एक मामले से जुडा हुआ हैं। आरोप लगाया गया हैं कि मंत्री पुत्र ने अपने दम के रसूक की बदौलत जमीन एक मामलें में उनसे धोखा किया हैं। आरोप किसी और ने नही बल्कि किसी जमाने मे मंत्री पुत्र के साथ घनिष्ठता के लिए जाने वाले उन्ही के एक सहयोगी ने लगाया हैं। हांलाकि मंत्री पुत्र ने इस बात को एक सिरे से नकार दिया हैं। बल्कि उनका दावा हैं कि कभी उनके सहयोगी रहे उस शख्स पर उनकी लाखों की लेनदारी हैं और रूपयें वापिस मांगे जाने पर इस तरह की नौंटकी कर रहे हैं ताकि उनके रूपयें ना लौटाने पडे। प्रैस वार्ता कर सहयोगी रहे शख्स ने भी पलट वार कर अपने आप को बेकसूर बताया और बकायदा जमीन के वो कागजात भी दिखाए जो इस बात की प्रमाणिता हैं कि जमीन को लेकर उनका एक कंपनी से करार हुआ था। खैर बात जो भी रही हों खंडन तो स्वंय पूर्व केबिनट मंत्री ने भी आयोजित प्रैस वार्ता में कर दिया। उनका दावा था कि केद्रीय मंत्री के इशारे पर यह किया गया हैं। केबिनट मंत्री के दावों की पुष्ठि उनके सुपुत्र ने भी की। उनका दावा था कि वह शख्स जो काफी समय से कांग्रेस के समय एक पद पर आरूढ थे ,वह किसी के बहकावे में आ चुके हैं। मुद्दा चाहे जो भी हों पर शहर में अब यह चर्चा का विषय हैं। अब यह तो भविष्य तय करेगा कि इसका परिणाम किसके पक्ष में जायेगा पर यह तो तय हैं कि दोनो पक्ष अपनी बात को लेकर अडा हुआ हैं। जहां तक जानकारी की बात हैं तो बताया यह जा रहा हैं कि एक कंपनी से मंत्री पुत्र और सहयोगी शख्स ने एक जमीन का करार किया था। हांलाकि यह करार सीधे तौर पर मंत्री पुत्र के नाम ना होकर उनके किसी रिेश्तेदार के नाम से किया गया था। लगभग 26 करोड के इस करार में प्रतिशत 40(सहयोगी शख्स) और 60 (मंत्री पुत्र) का बताया गया हैं। बाद में किसी विवाद को लेकर दोनो के मध्य बात बिगड गई और मंत्री पुत्र ने यही करार लगभग 31 करोड में तय कर लिया जिसे लेकर सहयोगी शख्स का काफी आर्थिक नुक्शान हुआ और उन्होने सबधित थानें में इस बाबत मुकदमा पंजीकृत करवा दिया।