अस्पताल प्रशासन ने किया आरोपों को एकसिरे से खारिज
फरीदबाद। प्रदेश के अस्पतालों की मनमानी जनता पर भारी पड रही है। यही वजह है कि अभी जहां गुडगांव के फोर्टिस अस्पताल में बच्ची की मौत का मामला थमने का नाम नही ने रहा है वही फरीदाबाद के अजरौंदा चौक स्थित क्यूआरजी सैंटल अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल हुई 50 वर्षीय महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा दिए गए लाखों का का बिल विवादों में फस गया। मौत से गुस्साए मृतिका के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। हंगामें की खबर मिलते ही मौके पर पुलिस पहुच गई और स्थिती को काबू में कर लिया। अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाही बात पर परिजन अडे हुए थे परन्तु पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम रिर्पोट आने के बाद ठोस कानूनी कदम उठाने की बात कही। मामला यह है कि 20 दिन पूर्व डेंगू की शिकायत को लेकर जवाहर कालोनी निवासी खालिद की 50 वर्षीय पत्नी नाजमा परवीन को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया था। आरोप है कि काफी समय बीत जाने के बाद डा. ने बताया कि मृतिका को सेपटिक की शिकायत हो गई है और उसकी किडनी में भी दिक्कत है परन्तु बाद में बताया गया कि उसे पीलिया हो गया है। इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने इलाज के नाम पर उनसे लगभग लाखों रूपये ले लिए। शिकायतकत्ता ने यह भी बताया कि इलाज के नाम पर मृतिका को कई दिनों तक वेटीलेटर पर रखा गया और आज सुबह उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उनकी जान चली गई । जिसे लेकर उनके द्वारा हंगामा कर दिया गया बाद में पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम करवाए जाने के बाद कानूनी कार्रवाही की बात सुनकर परिजन इसे अपने धर्म के खिलाफ मानते हुए शव को ले गए। वही अस्पताल के जनरल मैनेजर सुरेन्द्र चौधरी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई लापरवाही नही बररती गई है तथा डाक्टर ने काफी मेहनत की थी मरीज की जान बचाने में । इसलिए अस्पताल पर जो आरोप लगाए गए है वह निराधार है। मृतिका के परिजन चाहे तो बेशक सरकारी अस्पताल बीके में करवाया सकते है जिससे सच्चाई सामने आ जायेगी। बाकी बिल लगभग 8 लाख 50 हजार था जिसमें अस्पताल प्रशासन ने मानवता के नाते रियायत दी है।