फरीदाबाद(Standard news/manoj bhardwaj)-फूल किसे अच्छे नहीं लगते हैं, लेकिन आजकल शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास भी इतना समय नहीं हैं कि वह अपने और अपने परिवार या किसी दोस्त इत्यादि के लिए असली फूलों का प्रयोग करके कोई उपहार दे सकें। इसलिए ३१वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में लोगों को इस उबासी भरी लाईफ से दूर करने करने के लिए उन फूलों को हाथों से तैयार किया गया है जो बडे-बडे शहरों में उपलब्ध नहीं होते है।इन फुलों में गुलाब, लीली, गुजदेदी, कमल इत्यादि ऐसे फॅूल हैं जो हाथों से तैयार किए गए हैं। इसी प्रकार से हाथ से इन फूलों के बीच पत्तियां और अन्य छोटे फूल भी तैयार किए गए हैं जो देखने में अद्भूत लग रहे हैं। थीम राज्य झारखण्ड के रांची से आए अजय कुमार ने बताया कि वे इस मेले में पहली बार शिरकत रहे हैं ओर उनके यहां हाथों से इन फुलों को तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि इन फूलों को तैयार करने के लिए हांलाकि काफी समय लगता है लेकिन जब उनके फूलों को कोई खरीदता है तो उन्हें व उनके साथ लगे इस काम में लोगों को एक प्रकार को आत्मबल और आत्मनिर्भरता को एहसास होता है।उन्होंने बताया कि उनको इस मेले मे ओपन स्टाल की एक जगह उपलब्ध करवाई गई हैं लेकिन फिर भी लोगों के रूचि इन फूलों को देखते ही बनती हैं और लोग इन फूलों को देखकर खींचे ही चले आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन फूलों को देखते हुए पुरूष और महिला के साथ-साथ परिवार के सभी लोग इन फूलों को देख रहे हैं और खरीद रहे है। उन्होंने बताया कि उनके इस स्टाल में २० रुपए से लेकर ४० रुपए तक के फूलों की डंडियां लोगों के लिए रखी गई है।इन फूलों के तैयार करने के संबंध में उन्होंने बताया कि इन फूलों को कागज, कपडा और नेचुरल रंगों से तैयार किया जाता है और यह बहुत ही नेचुरल दिखाई देने वाले फूल होते है। उन्होंने बताया कि अभी तक तीन दिन हुए हैं और आज चौथा दिन हैँ लेकिन अब तक वे कुल लगभग १० हजार रूपए की बिक्री कर चुके हैं। उन्हें उम्मीद हैं कि आगामी दिनों में मेले में उनकी ओर अधिक बिक्री होगी। संस्कृति एक शीशे की तरह हैं और आज इस धरोहर को संभालकर रखना हर उस समाज की जिम्मेदारी है जो उस संस्कृति से जुडा हुआ है। हरियाणा स्वर्ण जयंती ३१वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में नेपाल से पहली बार आए हस्त कलाकार मानीक मान सेहे ने बताया कि उन्होंने इस मेले में हालांकि पहली बार शिरकत की है, लेकिन इस मेले में उनका आने का उदेश्य यहां विभिन्न देशों व प्रदेशों की संस्कृति की जानकारी हासिल करना और कुछ सीखना हैं। अपने स्टाल पर मंडला की कारीगरी करते हुए मानीक मान सेहे ने बताया कि मंडला एक प्रकार का चक्रनुमा और सजावटी आइटम हैं जो नेपाल में प्रत्येक परिवार अपने घर में इसे लगाता है। उन्होंने बताया कि इस मंडला को दीपावली के बाद आने वाले त्यौहार भाई दुज के अवसर पर पूजा जाता है, जिसमें अपने ही शरीर की पूजा की जाती है। उन्होंने बताया कि इस मंडला में आठ तरह की दिशाएं होती है जो आपके शरीर और घर को शुद्ध करती है। उन्होंने बताया कि यह मंडला वास्तु को भी नियंत्रित करता है और शरीर को स्वस्थ व परिवार में शांति बनाए रखना है, ऐसी मान्यता हैँ। स्टाल पर ही नेपाल सरकार से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अजीत कुमार सेहे ने बताया कि आने वाला समय कम्पयूटर और मोबाइल का है ओर हमारी या किसी भी समाज की सभ्यता और संस्कृति कम्पयूटर और मोबाइल में धीरे धीरे बंद होने वाली हैं, इसलिए हम सभी को चाहिए कि इस धरोहर को जीवंत बनाए रखें ताकि आने वाली पीढियों को कुछ सीखने को मिले। उन्होंने बताया कि वे हरियाणा के अपना घर में गए जहां पर दादी मां को दिखाया और और वे सभी को अपना आर्शीवाद दे रही है, जो काफी अच्छा है। उन्होंने बताया कि उनके इस स्टाल में इसके अलावा, पसमीना, नेपाली कागज और ऊन को दबाकर विभिन्न सजावटी आइटम को र गया है। उन्होंने बताया कि नेपाली कागज से टी-पोट, पेन स्टेण्ड, मिरर इत्यादि वस्तुओं को लगाया गया है जिसे लोग काफी उत्सुकता के साथ देख रहे हैं और ले भी रहे हैं। उनके इस स्टाल में स्वेटर, बेग, पेपर टे्र, की चेन, पेंटिंग इत्यादि हाथ से तैयार समान रखा गया है।उन्होंने बताया कि उन्होंने नेपाल सरकार से राष्ट्रीय प्रतीभा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है जो वहां सर्वोतम पुरूस्कार है। उन्होंने बताया कि वे चाइनिज सामान से परेशान हैं कयोकि वे नकल करके बहुत सस्ता आइटम तैयार कर देते हैं इसलिए उनहोंने कहा कि हम सभी हस्तकरघा, कारीगरों, कलाकारों, बुनकरेां ओर शिल्पियों का चाहिए कि वे अपनी इस कला को बचाने के लिए अपनी इस धरोहर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि लोग उसका अधिक से अधिक प्रयोग करें और उसकी आदत भी उन्हें हो। इससे हस्तकरघा, कारीगरों, कलाकारों, बुनकरेां ओर शिल्पियों को आत्म बल और सम्मान भी मिलेगा। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें मेले के उपरांत प्रमाण पत्र भी दिया जाए ताकि अन्य देशों में जब वे जाएं तो वहां भारत में लगने वाले इस मेले का प्रमाण दिखा सके जिससे सूरजकुण्ड मेले लोकप्रियता को ओर अधिक बल मिलेगा।देश की सबसे बडी सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड ने भी इस अपना स्टाल स्थापित किया है। इस मेले में स्टाल पर लोगों को दस रुपए में बीएसएनएल की सिम मुहैया करवाई जा रही है। स्टाल संचालक आंनद का कहना है कि उनके इस स्टाल में आज लगभग सौ लोगों ने बीएसएनएल की सिम ली हैं। अपनी कंपनी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दस रुपए की सिम में २० रुपए का टाकटाईम पांच महीने केलिए दिया जा रहा है और जिसमें ३०० एमबी डाटा भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने बतया कि इसके अलावा १० पैसे में बीएसएनएल से बीएसएनएल और ३० पैसे में लोकल एसटीडी की काल दी जा रही है।इसी प्रकार एक अन्य प्लान के बारे में जानकारी देते हुए आंनद ने बताया कि १४९ रुपए में बीएसएनएल से बीएसएनएल से अनलिमिटेड कांलिंग दी जा रही है जो एक महीने के लिए वैध है तथा इसमें ३०० एमबी डाटा भी दिया जा रहा है। इसके अलावा, ३० मिनट तक रोजाना किसी भी नेटवर्क पर कालिंग की भी सुविधा है। आनंद ने ३३९ रुपए के प्लान के बारे में बताया कि इस प्लान में किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कांलिग के साथ एक जीबी डाटा दिया जा रहा है जो एक माह तक वैध रहेगा। उन्होंने बताया कि बीएसएनएल के प्रति लोगों में काफी रूझान और रूचि है। मुखय संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने कहा कि सूरजकुंड मेला हरियाणा को पूरे विश्व में पहचान दिला रहा है। अब तक बड़ी सं२या में लोग मेले का भ्रमण कर चुके हैं और इस बार पिछले सभी वर्षों से ज्यादा लोगों के मेला में पहुंचने की संभावना है। प्रशासन द्वारा मेला में लोगों की सुविधाओं को लेकर बेहतरीन प्रबंध किए गए हैं। श्रीमती त्रिखा शनिवार को मेले का निरीक्षण कर रही थी। उन्होंने एक कदम स्वच्छता की ओर व हरियाणा जेल सहित कई स्टालों का निरीक्षण किया। एक कदम स्वच्छता की ओर स्टाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश को स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ाया है। आज समय आ गया है जब हम सभी को इस विषय पर खुद आगे बढऩा होगा। स्टाल संचालिका मोनिका ने उन्हें मेले में ज्वार, आटे और चावल से बने चमच दिखाते हुए कहा कि यह खाना खाने के काम आते हैं और इसके बाद च६मच को भी खाया जा सकता है। यह डिस्पोजल और अन्य चमचों की समस्या व उनसे पैदा होने वाले कूड़े से बचाव का बेहतरीन ढंग है। स्टाल पर गोबर से बनाई गई लकड़ी की आकृति भी उन्होंने मुखय संसदीय सचिव को दिखाई। उन्होंने बताया कि सडक़ों पर फैले गोबर को मशीन के माध्यम से लकड़ी का आकार दिया जा रहा है। इस गोबर की लकड़ी को विशेष तौर पर अंतिम संस्कार व अन्य कार्यों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने गोबर से बनाए गए गमले, पतों द्वारा निर्मित प्लेट व मिट्टी से बनाए गए बर्तन व कचरे से तैयार की गई अन्य सामग्री भी दिखाई।
![सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले मे फूलों को देखकर खींचे लोग](https://standardnews.in/wp-content/uploads/2017/02/surajkund-mela.jpg)