फरीदाबाद (सूरजकुण्ड)।आजकल के आधुनिक जीवन में लोग अपने बच्चों के लिए खिलौनों के रूप में इलैकट्रोनिक डिवाइस, टेबलेट, मोबाइल गेम, टैलीविजन गेम को लेकर देते हैं परंतु पहले के जमाने में बच्चों के मनोरंजन के लिए लकडी के खिलौनों का प्रयोग किया जाता था और इस प्रकार के खिलौने आम व सामान्य दुकानों पर भी मिलना दूभर हो गए हैं, इसलिए यदि आप इस प्रकार के हाथ से तैयार लकडी के खिलौनों को लेना चाहते हैं तो आपको हरियाणा के सूरजकुण्ड में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में आना होगा। हरियाणा के सूरजकुण्ड में चल रहे सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में इन लकडी के खिलौनों को बिक्री के लिए लेकर दक्षिण भारत से आए मणीभरत और कस्तूरी बाई ने बताया कि यहां पर विभिन्न प्रकार के खिलौनों को लोगों के लिए दर्शाया है। उन्होंने बताया कि उनके इस स्टाल पर बेवी गाडी, रिंग सैट, टैप, जेसीबी, तोप, ट्रक, रोड रोलर, ऐराप्लेन, हाथी, बुद्धा और विभिन्न जीव जंतुओं की आकृर्तियों के लकडी के खिलौनों को दर्शाया गया है। उन्होंने बताया कि उनके स्टाल पर लकडी के खिलौनों को काफी पंसद किया जा रहा है और लोग काफी शौक के साथ इन खिलौनों को खरीद रहे हैं। उन्होंने बताया कि लकडी के खिलौनों को तैयार करने के लिए एक विशेष प्रकार की हल्की लकडी का प्रयोग किया जाता है और इन्हें रंगने के लिए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि उतर भारत में इन खिलौनों को काफी पंसद किया जाता रहा है और इस प्रकार के खिलौने व दिल्ली हाट, गुरुग्राम में लगने वाले मेलों में दर्शाते रहे हैं। मेले में दर्शकों की भीड़ उमड़ी। छोटी चौपाल पर जहां मणिपुरी और नागालैंड के कलाकारों ने तालियां बटोरी। वहीं मेन चौपाल पर संस्कृति के देशी-विदेशी रंग देखने को मिले। मणिपुर से आए कलाकारों ने ढोल चोलोम की प्रस्तुति पर दर्शकों की ख्रूब वाहवाही लूटी। ढोल चोलोम मणिपुर का परंपरागत लोकनृत्य है। इसे चोलोम नृत्य के नाम से भी जाना जाता है। ये लोकनृत्य मणिपुर के लोग रंगों के त्योहार होली पर मिलकर करते हैं। इसके अलावा और भी धार्मिक अवसरों पर लोग ढोल के साथ इस लोकनृत्य को करते हैं। वहीं नागालैंड के कलाकारों ने खूबसूरत आदिवासी लोकनृत्य पेश किया। ये लोकनृत्य मस्ती और खुशी के साथ किया जाता है। नागा लोकनृत्य के जरिए मणिपुर की धार्मिक परंपरा को ढोल और नृत्य के जरिए पेश किया। वहीं नागा लोकनृत्य के जरिए आदिवासी वेशभूषा में खुशी और प्रसन्नता को पेश किया। मेले की चौपाल पर शनिवार को कुछ एेसे ही रंग झलके। इसके अलावा मेन चौपाल पर कलाकारों ने आदिवासी लोकनृत्य पेश किया। पंजाबी, हरियाणवी, राजस्थानी कलाकारों के साथ कई विदेशी कलाकारों ने भी बेहतरीन नृत्य पेश कर समां बांधा। स्मार्ट सिटी लिमिटेड की आेर से शनिवार को र तार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में भारत में महिला की यात्रा विषय पर मशहूर कलाकार विद्या शाह ने संगीत यात्रा प्रस्तुत कर महिलाओं की सफलता की कहानी पेश की। इस दौरान यूसुफ भारद्वाज व दीपक सैनी की टीम ने हास्य कार्यक्रम पेश कर दर्शकों को लोटपोट किया। इसके बाद चौपाल पर मौजूद दर्शकों ने स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता की शपथ भी ली। मु य अतिथि के तौर पर स्थानीय शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण और निगमायुक्त सोनल गोयल मौजूद रहीं। अंत में निगमायुक्त ने बेहतरीन काम करने वाले निगम कर्मचारियों को समानित किया। मेला में गुरुग्राम से आए हुए सातवीं कक्षा के छात्र ने बताया कि वे गुरुग्राम के एक स्कूल में सातवीं कक्षा में पढते हैं और पिछले दो सालों से यहां पर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर उन्हें सबसे अच्छा चौपाल दिखाए जाने वाले रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम लगते हैं और विदेशी कलाकारों द्वारा दिखाए गए कार्यक्रमों को विशेष रुप से पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि जिमबाबे के कलाकारों द्वारा दिखाया गया कार्यक्रम उन्हें आज काफी पसंद आया हैं। उन्होंने बताया कि आज उन्होंने मेले में गोहाना का जलेब भी खाया जो देखने के साथ साथ खाने में भी काफी अच्छा है। यहां पर झूलों का भी प्रबंध किया गया है जिनको झूलने का उनहोंने कार्यक्रम बनाया हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां पर उन्हें विभिन्न राज्यों द्वारा स्थापित किए गए स्टालों पर जाना अच्छा लगता है कयोंकि वहां पर विभिन्न प्रकार के सूट, साङ्क्षडयां, शालें और अन्य ऐसी वस्तुएं देखने और खरीदने को मिलती हैं जो सामान्य बाजारों में नहीं होती। उन्होंने बताया कि यहां पर एक मिनी भारत सजाया गया है जो एक विशेष आकर्षण हैं। मेला में आज विशेष भीड के संबंध में उन्होंने बताया कि वे आज अपने परिवार के साथ है और उन्हें मेला परिसर में पहुंचने के लिए काफी देर लगी कयोंकि यहां पर आज काफी अच्छा और अधिक काऊड आया हुआ है। चौपाल में गुजरात से आए नृत्य कलाकारों ने रंगारंग सिद्धी गोमा नृत्य प्रस्तुत करके लोगों के मन को सींच दिया और लोगों ने इस नृ़त्य को देखकर अपने आपे को खोते हुए तालियों की भरमार कर दी। सिद्धी गोमा गुजरात राज्य का एक पारपंरिक नृत्य हैं और यह वहां की एक विशेष जाति व समुदाय के द्वारा किया जाता है जो कि विशेष रुप से प्रसिद्ध भी हैं। चौपाल पर सिद्धी गोमा को देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे कि दक्षिण अफ्रीका के लोग इस प्रकार का गीत गा रहे हैं परंतु असलियत में यह गुजरात का सिद्धी गोमा नृत्य हैं। मेला परिसर के चौपाल पर उतराखण्ड के कलाकारों ने भी अपना नृत्य दिखाकर लोगों को आनंद पहुंचाया और लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया का जवाब तालियां बजाकर किया। इसके पश्चात एमवीएन स्कूल के कलाकारों द्वारा भी अपना नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्हें लोगों व दर्शकों के माध्यम से हौसलाअफ जाई के तौर पर तालियां मिली। वहीं, मुरारी लाल शर्मा व उनकी टीम ने भी काफी अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत करके लोगों के दिलों पर राज किया। इसी प्रकार, सैंजूरी कालेज के लिए कलाकारों ने भी अपना बेेहतरीन नृत्य प्रस्तुत करके लोगों के दिलों को सींचा और उन्हें तनावमुक्त किया। मेले में वीकेंड होने की वजह से शनिवार को खासी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही मेले में लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। आलम ये रहा कि दोपहर बाद लोगों को पार्किंग के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके चलते सडक़ पर जाम के हालात बने रहे। पुलिसकर्मियों को ट्रेफिक व्यवस्था संभालने में खासी मेहनत करनी पड़ी। फैशन शो में दिखा आदिवासी कला और आधुनिकता का संगम जोहार झारखंड की ओर से देर शाम हुआ फैशन शो दिन का आकर्षण रहा। मशहूर फैशन डिजायनर रीना ढाका और वारिजा बजाज के डिजायर कपड़ों ने झारखंड की आदिवासी लोककला को आधुनिक अंदाज में पेश कर खूब प्रशंसा बटोरी। फैशन शो का उद्देश्य आदिवासी कला को आधुनिक फैशन में ढालकर कुछ अलग रूप देना था। बॉलीवुड गायिका शिबानी कश्यप फैशन शो के दौरान शो स्टॉपर रहीं। एक के बाद एक रैंप उतरीं मॉडल्स ने खूबसूरत परिधानों के साथ सभी को हैरान किया।