सूरजकुण्ड(standard news on line news portal/manoj bhardwaj).. लोक कलाएं हमारी सांस्कृति की अनूठी धरोहर है, जिनको संजोकर रखना हम सबका नैतिक दायित्व है। यह उद्गार 32वें अंर्तराष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेले के दूसरे दिन सांयकालीन सत्र में चैपाल पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बतौर मुख्यअतिथि पधारे अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा धनपत सिंह ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहे। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेष सरकार का सदैव प्रयास रहा है कि समय-समय पर आमजन को लोक कला एवं सांस्कृति से विभिन्न रूपों में अवगत कराया जाए। इस कडी में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूरजकुंड हस्त षिल्प मेला आने वाली युवा पीढी को दषकों तक देष-प्रदेष की लोक सांस्कृति के बारे में जागरूक कर अवगत कराता रहेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देष-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में नित रोज नए शोध हो रहे हैं। ऐसे में लोक संस्कृति के बारे में आने वाली पीढी को अवगत कराने के लिए सूरजकुंड मेला सहित अन्य विकल्पों को अपनाना विषेष रूप से सहयोगी साबित होगा। श्री धनपत ंिसंह ने कहा कि देष-प्रदेष से आए लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्षित इन विधाओं में छिपे जनसंदेष को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की महती भूमिका को भी किसी भी रूप में नकारा नहीं जा सकता जो अपने-अपने संचार माध्यमों से इन जनसंदेषों को आम जन तक पहुुंचाने में सदैव सहयोग देती रहती है। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई। कार्यक्रम के दौरान मेले के मुख्य प्रषासक एवं निदेषक सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग समीर पाल सरो ने मुख्य अतिथि का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर हरविन्द्र राणा, डा. जगबीर राठी, राजकुमार धनखड, डा. जोगेन्द्र मोर, सौरव, षीषपाल जैसे कलाकारों ने उपस्थित दर्षकोें का नृत्य, गायन व हास्य कला के माध्यम से भरपूर मनोरंजन किया।