फरीदाबाद। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल में एक सात वर्षीय बच्चे के दोनों कूल्हों के विकासात्मक डिस्प्लेसिया यानि डीडीएच की सफल सर्जरी की गई। पांच सदस्यों की टीम ने छह घंटे की सर्जरी में बच्चे के दोनो कूल्हों को अपनी वास्तविक जगह प्रदान की है। एशियन अस्पताल के स्पोर्टस इंजरी विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि डेवलेप्मेंट डिसप्लेसिया ऑफ हिप एक ऐसी समस्या है जिसमें बच्चे के कूल्हे मां के पेट से ही अपनी जगह से हटे हुए होते हैं। दुनिया में हजार में से एक बच्चा ऐसा होता है और भारत में यह आंकड़ा इससे भी कम है। डॉ. राकेश का कहना है कि इसका इलाज जन्म के बाद जितनी जल्दी शुरू हो जाए, उतना अच्छा होता है। उपचार में देरी इसके इलाज को और भी जटिल बना देती है। ऐसे में सर्जरी के सफल होने के की संभावना भी कम हो जाती है। फरीदाबाद निवासी सात वर्षीय यजश डीडीएच से पीडि़त था, जिसके कारण उसे चलने-फिरने में तकलीफ होती थी, दोनों कूल्हों में तकलीफ के चलते उसके परिजन इस परेशानी को समझ नहीं पा रहे थे, लेकिन बच्चे के पैरों की लचक परिजनों की परेशानी का सबब बन रही थी। उन्होंने विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में ले जाकर यजश की जांच कराई। जांच करने के काफी समय बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसके दोनों कूल्हों की हड्डियां बाहर निकली हुई हैं और विकसित हो चुकी हैं। जिसके कारण यजश को चलने में परेशानी हो रही है और उम्र बढऩे के कारण इसके इलाज में जटिलताएं हो सकती हैं। यजश के परिजन उसे सेक्टर-21 ए स्थित एशियन अस्पताल लेकर पहुंचे और हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाया। जांच की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे के दोनों कूल्हे बाहर निकले हुए थे। डॉ. राकेश ने बताया कि आमतौर पर यदि एक कूल्हा बाहर निकला हुआ हो तो जन्म के एक साल के भीतर ही बच्चे के डीडीएच से पीडि़त होने के लक्षण आसानी से नजर में आ जाते हैं, लेकिन यजश के दोनों कूल्हे बाहर निकले होने के कारण दोनों पैरों में समान दिक्कत होने से बीमारी पकड़ में नहीं आ रही थी। डॉक्टर ने बताया कि हमने बच्चे के परिजनों को ऑपरेशन की सलाह दी। परिजनों की अनुमति से बच्चे के दोनों कूल्हों की एक साथ सर्जरी की गई। अतिरिक्त हड्डी को काटकर ऊपर चढ़े हुए कूल्हे को नीचे की ओर लाया गया। डॉ. राकेश ने बताया कि इस बच्चे की हड्डियां विकसित हो चुकी थीं। जिसके कारण यह सर्जरी करना बेहद जटिल था। इस सर्जरी के दौरान बहुत सावधानी बरती गई। डॉ. राकेश कुमार, डॉ. युवराज कुमार सहित पांच सदस्यों की टीम ने डेवपेप्मेंट डिप्लेसिया ऑफ हिप की छह घंटे की सर्जरी की। जिसमें दोनों कूल्हों को एक ही बार में ऑपरेट किया गया। बच्चा तीन महीने तक प्लास्टर के साथ रहेगा। इसके अलावा हर महीने रूटीन चैकअप भी कराना होगा। सावधानी न बरतने पर भविष्य में यह समस्या फिर से उभर के आ सकती है। डॉ. राकेश ने बताया कि सर्जरी के माध्यम से दोनों कूल्हों को सही जगह पर लगाया जाता है। कूल्हे के कप का पुर्ननिर्माण किया जाता है और कूल्हे से नीचे जांघ की हड्डी को छोटा करते हैं। इस सर्जरी में नसों और खून की नली के कटने का भी खतरा बना रहता है। इसलिए इस दौरान बेहद सावधानी बरती गई ताकि बच्चे का रक्त स्त्राव ज्यादा न हो।