फरीदाबाद। कांग्रेसी नेता लखन सिंगला और उनके भतीजे रोहित सिंगला की एकजुटता पर कही केबिनट मंत्री विपुल गोयल भारी ना पड जाए। जहां चाचा-भतीजे वैश्य समाज को उनके समर्थन के लिए आश्वत करने में लगे हुए है वही केबिनट मंत्री विपुल गोयल भी सेंध लगाने में कोई कसर नही छोडेगे। बेशक माना जा रहा है कि केद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर की सिफारिश की वजह से संबधित वार्ड से भाजपा प्रत्याशी को टिकट दिया गया हैं पर चाचा-भतीजे की जोडी को मात देने के लिए केबिनट मंंत्री विपुल गोयल द्वारा समर्थन दिया जा सकता हैं। केबिनट मंत्री विपुल गोयल और काग्रेसी नेता लखन कुमार ङ्क्षसगला में 36 का आंकडा जगजाहिर हैं। पूर्व में लखन सिंगला ने विपुल गोयल पर अपनी राजनीतिक मंशा पूर्ण करने के लिए उनके निमार्ण तुडवाने का आरोप मढ दिया था,जबकि निगम प्रशासन ने तोडफोड को समान्य प्रक्रिया बताकर मंत्री का बचाव किया था। अब जब बात की जा रही हैं निगम चुनावों की तो कयास यह लगाया जा रहा था इस बार दोनो परिवार निगम चुनाव में अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगे पर अब इसे मजबूरी कहे या फिर जरूरत इस बार परिवार के अन्य सदस्य के बीचबचाव करने की वजह दोनो परिवारों में समझौता हो गया और तय किया गया कि इस वार्ड से भतीजे रोहित सिंगला को ही चुनाव लडने दिया जाए। यदि एकजुटता का परिचय दिया जाए तो हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र ङ्क्षसह हुड्डा एंव अध्यक्ष अशोक तंवर के दो गुट बने हुए हैं। हड्डा के गु्रप में चाचा लखन ङ्क्षसगला पूर्ण इमानदारी से जुडे होने का दावा करते है और भतीजे रोहित सिंगला सार्वजनिक मंच से अशोक तंवर को अपने सर्वसवा बता चुके है। अब स्थ्तिी यह है कि विपरीत गुटो की राजनीति करने वाले चाचा-भतीजे का जलवा उन्हे पार्षद चुनाव में विजय श्री दिलवा पायेगा कि नही। माना जा रहा है कि बेशक कांग्रेसी नेता लखन ङ्क्षसगला अब भतीजे रोहित सिंगला के प्रचार में उतर गए पर राजनीतिक पहलु पर गौर किया जाए तो यदि रोहित ङ्क्षसगला इस सीट पर विजय नही हो पाए तो तब भी लखन ङ्क्षसगला को आगामी विधानसभा चुनावों में फायदा ही होगा क्योकि इस बार भतीजे रोहित सिंगला की मदद से समाज में एक और जहां लखन ङ्क्षसगला के समर्थन में अच्छा सदेंश प्रसारित हुआ है वही आगामी विधानसभा में परिवार को उनका समर्थन करना ही पडेगा। पर इस चुनाव के एक अन्य पहलु की भी समीक्षा करना जरूरी हैं। जो कि सीधे तौर पर पंजाबी और ब्रहाण समुदाय से जुडा हुआ हैं। माना जा रहा है कि यह दोनो समुदाय जिस तरह करवट बदलेगे जीत उसी की सौं प्रतिशत तय हो जायेगी। अब देखना यह कि राजनीतिक समीक्षा के मध्य हार और जीत का फैसला किस के पक्ष में जायेगा।
![चाचा-भतीजे की जोडी पर भारी ना पड जाए केबिनट मंत्री](http://standardnews.in/wp-content/uploads/2016/12/lakhan-final-photo.jpg)