नौ दिवसीय श्रीराम कथा संपन्न
फरीदाबाद। फरीदाबाद के सेक्टर-12 स्थित हूडा ग्राउंड में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा संपन्न हुई। कथा के आखिरी दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हिस्सा लिया। इसके साथ-साथ उद्योग मंत्री विपुल गोयल, बीजेपी जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा, एडीजीपी आलोक मित्तल, अजय गौर समेत कई मुख्य अतिथियों ने बापू द्वारा श्रीराम कथा का आनंद लिया। कथा के आखिरी दिन भी पंडाल भक्तों से भरा हुआ नजर आया। करीब 12 हजार भक्तों ने श्रीराम कथा सुनीं। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान की मुख्य संरक्षक सत्या भल्ला ने बापू का धन्यवाद किया। उन्होंने सभी का अभिनंदन किया। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के संस्थापक डॉ. ओपी भल्ला को याद करते हुए उन्होंने बताया कि, आज उनके आशीर्वाद से यह सब कुछ हुआ है। उनका यह सपना उनके दोनों बेटों और मानव रचना के पूरे परिवार की वजह से पूरा हो सका है। उन्होंने कहा, जिस घर में बुजुर्ग हंसता है, उस घर में भगवान बसता है।
सीएम मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा, उनकी प्रबल इच्छा थी कि वह मोरारी बापू को आकर सुनें। उन्होंने कहा, विकास—भौतिक निर्माण से पूरा होता है, लेकिन उनके लिए व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण भी जरूरी है। मनुष्य बहुत ताकतवर है लेकिन, अपनी ताकत पहचानने के लिए मोरारी बापू जैसे महान लोगों की जरूरत पड़ती है। बापू ने कथा के आखिर में एक बार फिर से मानव रचना शैक्षणिक संस्थान का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, जिस रूप में आयोजन सुचारू रूप से किया गया, व्यासपीठ संतोष और प्रसन्नता व्यक्त करती है। उन्होंने कहा, रोजाना हजारों भक्त इतनी शांति से सुनने आ रहे थे, यह देखकर बहुत खुशी हुई। बापू ने सभी क्षेत्रों का कथा के लिए सहयोग करने के लिए भी धन्यवाद किया। कथा के दौरान मौजूद रहे युवाओं का बापू ने खासतौर से धन्यवाद किया, उन्होंने कहा आप सभी मानस बगिया के फूल हैं। बापू ने कहा, आप मुझे कथा के लिए नौ दिन देंगे मैं आपको नौ जीवन दूंगा, राम के नाते, श्रीराम कथा के नाते यह हमारा रिश्ता है। बापू ने कहा, हिंदू धर्म का अधिक मास चल रहा है और मुस्लिम धर्म का रमज़ान मास चल रहा है, मैं यह कथा सभी धर्मों को समर्पित करता हूं।
हंस के बोला करो,हंस के बुलाया करो,
यह बाप का घर है, आया जाया करो,
बापू ने आज अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किसीकिंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और उत्तर कांड का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। बापू ने कहा, प्रजा का युग धर्म है एक दूसरे को प्यार करना, बापू ने भेद-भाव करना गलत बताया। भेदभाव जाति, धर्म, ऊंच, नीच के आधार पर सही बात नहीं। सब एक दूसरे के साथ समानता पूर्वक व्यवहार करें। प्रजा में राष्ट्र प्रीति भी प्रजा का धर्म है। राजनीति की एक जगह है, राजप्रीति का भी एक स्थान होना चाहिए। बापू ने कहा कुछ निर्माण पैसों से होता है, लेकिन कुछ निर्माण सिर्फ संत के प्यार से होता है।