फरीदाबाद(standard news on line news portal/manoj bhardwaj)।… भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के वयस्कों में से 35 फीसदी वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, बीस करोड़ से अधिक भारतीय गुटखा, पान मसाला और शीशा के रूप में तंबाकू का प्रयोग करते हैं। विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा तंबाकू की खपत को रोकने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों और और जागरूकता अभियानों के बावजूद धुआंरहित तंबाकू के खतरे से निपटने में देश को अब भी एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। तंबाकू के वे स्वरूप जिन्हें जलाया नहीं जाता, उन्हें धुआंरहित तंबाकू कहा जाता है। शीशा, फल का स्वाद देने वाला एक तंबाकू है जिसे फॉयल यानी पन्नी पर रखकर चारकोल के साथ भूना जाता है। हुक्का पीने की तरह पाइप के माध्यम से तंबाकू का सेवन किया जाता है। शीशे का एक घंटे का लंबा सेशन 100 से 150 सिगरेट वाले धूम्रपान के बराबर होता है। शीशे का उपयोगकर्ता एक सांस में ही एक लीटर धुएं के छठे हिस्से की खपत कर लेता है। फरीदाबाद में फोर्टिस एस्कोट्र्स हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी के एचओडी और एडीशनल डायरेक्टर, डॉ. संजय कुमार ने कहा, सभी प्रकार के तम्बाकू, धुएं से रहित तम्बाकू और शीशा दिल पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ज्यादा मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड की खपत से खून की ऑक्सीजन लेने की क्षमता प्रभावित होती है। यह शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है और इससे दिल की धडक़न के साथ-साथ रक्तचाप बढ़ जाता है। धुआंरहित तंबाकू सिगरेट की तुलना में शरीर में ज्यादा समय तक निकोटिन के रहने का कारण बनता है। इसके प्रभाव से एक्यूट कार्डियोवेसकुलर (सीवीडी) रोग होता है और यह धूम्रपान करने वालेे लोगों की तरह ही सामने आता है। इसमें कार्डिएक अरेस्ट, स्ट्रोक, रक्तस्राव, रक्त के थक्के और हृदय संबंधी अन्य बीमारियां शामिल हैं। तम्बाकू का कोई सुरक्षित रूप नहीं है। शीशे का उपयोग हृदय के स्वास्थ्य के लिए समान रूप से हानिकारक है। उच्च स्तर के विषाक्त पदार्थ जैसे टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, भारी धातुएं और कैंसर का कारण बनने वाले रसायन न केवल सेहत पर बुरा असर डालते हैं, बल्कि इनसे हृदय रोगों की श्रंखला भी पैदा हो जाती है। डॉ. कुमार ने आगे कहा, धुआंरहित तंबाकू रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकता है। पेरिफेरल आट्र्रियल डिजीज विशेष रूप से हाथों और पैरों के रक्त के प्रवाह पर असर डालती है, जिससे रक्त के थक्के जमने लगते हैं और गैंगरीन हो जाता है, जिससे अंग काटना तक पड़ सकता है। इस विश्व हार्ट दिवस पर, इस पहलू पर जागरूकता पैदा होनी चाहिए कि किसी भी रूप में तम्बाकू को छोडऩे पर पहले दिन से ही हृदय को लाभ होने लगता है। इससे हृदय धडक़ने की दर धीमी हो जाती है और रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढऩे लगता है। इससे कोरोनरी हृदय रोग के विकास का जोखिम कम हो जाता है। यह धूम्रपान न करने वाले लोगों के जोखिम के समान होने लगता है। चिकित्सा विज्ञान और कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में प्रगति ने हृदय रोग के उपचार को कम दर्दनाक बनाने में मदद की है। इससे इलाज की प्रक्रिया और रिकवरी टाइम यानी स्वास्थ्य लाभ की समयावधि भी कम हुई है। सीएडी के लिए एक सामान्य उपचार विकल्प में एंजियोप्लास्टी और स्टेंट प्लेसमेंट शामिल हैं। कई वर्षों तक कोरोनरी धमनी बीमारी (सीएडी) का इलाज करने के लिए स्टेंट का इस्तेमाल किया गया है। अब एक कोरोनरी धमनी को खोलने के लिए स्टेंट डालना और एंजियोप्लास्टी के बाद रक्त के प्रवाह को बनाए रखना आम अभ्यास है। स्टेंटिंग एक न्यूनतम इनवेसिव प्रोसेस है, जिसके दौरान एक स्टेंट और गुब्बारे का उपयोग हृदय रोग के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें एक कोरोनरी धमनी के अंदर जमा पट्टिका यानी प्लेक को धकेला जाता है। कुछ नई पीढ़ी के स्टेंटों में अब औषधीय कोटिंग होती है जो धमनी को फिर से संकुचित होने से रोकती है।
धूम्रपान की खतरनाक आदत को छोडऩे के लिए कुछ उपाय-
– निकोटिन प्रतिस्थापन उपचार जैसे कि निकोटिन गम, नेजल स्प्रे या इनहेलर्स की मदद से तंबाकू की तलब पर काबू पाने में मदद मिल सकती है।
– ट्रिगर की पहचान करना महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि क्या चीज आपको किसी भी रूप में तम्बाकू का उपयोग करने के लिए उकसाती है और इससे बचने की जरूरत है।
– तंबाकू की लालसा होने पर शर्करा रहित गम, हार्ड कैंडी, कच्चे गाजर, अजवाइन, मूंगफली या सूरजमुखी के बीज चबाए जा सकते हैं।
– किसी भी रूप में व्यायाम या शारीरिक गतिविधि से तंबाकू की इच्छा को कम करने में मदद मिल सकती है। योग और ध्यान जैसे तकनीकों का विकल्प भी चुन सकते हैं।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई कोई भी जानकारी या संपूर्ण जानकारी फरीदाबाद में फोर्टिस एस्कोट्र्स हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी के एचओडी और एडीशनल डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार के स्वतंत्र विचार हैं। इस लेख को सामान्य जानकारी देने और शैक्षिक उद्देश्यों से प्रकाशित किया गया है।